देहरादून में 1134 की जान पर बन आई थी होम आइसोलेशन में, पढ़िए पूरी खबर
कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद जिन व्यक्तियों ने होम आइसोलेशन का विकल्प अपनाया उनमें से कई की जान पर भी बन आई थी। अपनी स्थिति का उचित आकलन किए बिना घर में रहे तमाम कोरोना संक्रमितों के शरीर में आक्सीजन का स्तर 90 से नीचे पहुंच गया था।
सुमन सेमवाल, देहरादून। कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद जिन व्यक्तियों ने होम आइसोलेशन का विकल्प अपनाया, उनमें से कई की जान पर भी बन आई थी। अपनी स्थिति का उचित आकलन किए बिना घर में रहे तमाम कोरोना संक्रमितों के शरीर में आक्सीजन का स्तर 90 से नीचे पहुंच गया था। जान सांसत में पड़ने पर 1134 व्यक्तियों ने स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में सूचना दी और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक, देहरादून में एक मई से 12 मई तक कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले सामने आए। जब संक्रमण दर अधिक थी, तब होम आइसोलेट मरीजों में आक्सीजन का स्तर घटने के मामले भी सर्वाधिक आए। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में आक्सीजन का स्तर घटने से संबंधित सूचना 27 मई तक दर्ज की गईं। इसके बाद 31 मई तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई। कुल 1134 सूचना में से 861 सूचना माह के शुरुआती 12 दिन (एक से 12 मई तक) में ही दर्ज हो गई थीं। कोरोना के मामले घटने के बाद अब घर के लिए भी आसानी से आक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध हो जा रहे हैं। जिस समय मामले अधिक आ रहे थे, उस समय सिलिंडर मिलने में भी दिक्कत आ रही थी।
जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना संक्रमितों की निगरानी के लिए 200 शिक्षकों की टीम तैनात की गई थी। प्रत्येक शिक्षक रोजाना 50 व्यक्तियों से हाल पूछ रहा था। हर व्यक्ति से 10 दिन की अवधि में तीन बार उसके स्वास्थ्य की जानकारी ली जा रही थी। इसके चलते तमाम व्यक्तियों में आक्सीजन का स्तर घटने के मामले को समय रहते पकड़ लिया गया।
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सभी अस्पतालों में बच्चों को मिले समुचित उपचार
विशेषज्ञों को अंदेशा है कि यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उससे सर्वाधिक खतरा बच्चों को होगा। ऐसे में प्रशासन अस्पतालों को बच्चों के उपचार के लिहाज से विकसित करने में जुट गया है। मंगलवार को जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सालयों, उप जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा संसाधनों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि हर एक सरकारी अस्पताल को बच्चों के उपचार के लिहाज से बेहतर बनाना है। यदि कहीं संसाधनों को लेकर दिक्कत है तो उसकी मांग समय पर उपलब्ध कराएं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दें। मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए कि कुंभ ड्यूटी से मुक्त हुए चिकित्सा स्टाफ को तत्काल अस्पतालों में तैनात किया जाए।
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