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113 सरकारी चिकित्सकों के भविष्य पर तलवार

उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की चालाकी उत्तराखंड के डॉक्टरों पर भारी पड़ गई है। जिन डाक्टरों ने वहां से पीजी डिप्लोमा किया, उन्हें वहां बिना मान्यता वाली सीटों पर दाखिले दिए गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 03:01 AM (IST)
113 सरकारी चिकित्सकों के भविष्य पर तलवार
113 सरकारी चिकित्सकों के भविष्य पर तलवार

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की चालाकी उत्तराखंड के डॉक्टरों पर भारी पड़ गई है। प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में सेवा दे रहे 113 डॉक्टरों का पीजी डिप्लोमा सवालों के घेरे में है। दरअसल, इन चिकित्सकों ने पीजी की जिन सीटों पर दाखिला लिया, उनकी मान्यता ही नहीं थी। हद ये कि यह पढ़ाई उन्होंने सरकारी खर्च पर की। साल दर साल यह खेल चलता रहा और सरकारें इस पर आंखें मूंदे रहीं। मामला संज्ञान में आने के बाद अब उत्तराखंड राज्य आर्युविज्ञान परिषद ने इन चिकित्सकों को नोटिस जारी किए हैं। वहीं, इस प्रकरण में एमसीआइ से दिशा-निर्देश मागे गए हैं।

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उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की लंबे समय से कमी बनी हुई है। सरकारी अस्पतालों में इस कारण लोगों को सीमित उपचार ही मिल पाता है। मरीजों के सामने निजी अस्पतालों या फिर दूसरे शहरों की दौड़ लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। इन्हीं तमाम दिक्कतों को देखते हुए गत वर्षो में उत्तराखंड के डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटें आवंटित की गई। इस व्यवस्था के तहत अब तक कुल 113 डॉक्टर उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पीजी डिप्लोमा चुके हैं, जबकि 19 अभी भी अध्ययनरत हैं। अब इस मामले में नया पेंच आ गया है। उप्र के जिन मेडिकल कॉलेजों से सूबे के डॉक्टरों ने पीजी किया, उन्होंने इन्हें गैर मान्यता वाली सीटों पर दाखिला दिया। यही कारण है कि अब प्रदेश के 113 डॉक्टरों की डिग्री को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। वर्तमान में यह सभी चिकित्सक प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में उत्तराखंड राज्य आर्युविज्ञान परिषद ने इन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए हैं। इनकी विशेषज्ञ के तौर पर प्रैक्टिस पर भी आपत्ति दर्ज की है। इसके अलावा एमसीआइ को पत्र भेज दिशा निर्देश भी मांगे गए हैं। मेडिकल काउंसिल ने मान्यता नहीं दी तो इन डॉक्टरों का पंजीकरण तक निरस्त हो सकता है। इस मामले में एमसीआइ से दिशा निर्देश मांगे हैं। इसके अलावा सरकार व शासन को भी अवगत करा दिया है। एमसीआइ से सकारात्मक जवाब न मिलने पर इन डॉक्टरों का पंजीकरण निरस्त हो सकता है।

डॉ. वाईएस बिष्ट, रजिस्ट्रार उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल डॉक्टरों की विशेषज्ञता पर सवाल

नेत्र सर्जन-23

रेडियोलॉजिस्ट-22

एनेस्थेटिस्ट-21

आर्थोपेडिक सर्जन-07

बाल रोग विशेषज्ञ-19

स्त्री रोग विशेषज्ञ-13

पैथोलॉजिस्ट-08


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