दून में गरजे 108 कर्मी, प्रदेशभर में एंबुलेंस के पहिये जाम
आपातकालीन सेवा 108 व खुशियों की सवारी में तैनात प्रदेशभर के फील्ड कर्मचारी दून में धरने पर बैठे।
जागरण संवाददाता, देहरादून: आपातकालीन सेवा 108 व खुशियों की सवारी में तैनात प्रदेशभर के फील्ड कर्मचारी बुधवार को दून में गरजे। कर्मचारी प्रदेश में आगामी एक मई से इस सेवा का जिम्मा संभालने जा रही नई कंपनी में समायोजन की मांग कर रहे हैं। इधर, फील्ड कर्मियों के आंदोलन पर चले जाने से प्रदेश में 108 एंबुलेंस व खुशियों की सवारी के पहिये थम गए। जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई जगह एंबुलेंस नहीं मिलने से मरीज घंटों तड़पते रहे। कर्मचारियों ने अब 28 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि यदि नई कंपनी में समुचित वेतन-भत्ते व लोकेशन के हिसाब से समायोजन नहीं किया जाता तो वह अब उग्र आंदोलन करेंगे।
बुधवार को 108 व खुशियों की सवारी के तमाम फील्ड कर्मचारी भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले सचिवालय कूच के लिए परेड मैदान स्थित धरना स्थल पर एकत्रित हुए। पर प्रशासन ने आचार संहिता की बात कहकर कूच को मंजूरी नहीं दी। जिस पर कर्मचारियों ने सचिवालय कूच स्थगित कर धरना स्थल पर ही सभा की। उत्तराखंड 108 व केकेएस फील्ड कर्मचारी संघ से जुड़े कर्मचारियों ने कहा कि पिछले एक दशक से अधिक समय से राज्य में आपातकालीन सेवा 108 के साथ ही खुशियों की सवारी का संचालन कर रही ईएमआरआई जीवीके कंपनी में तकरीबन 700 फील्ड कर्मचारी तैनात हैं। इनमें ईएमटी, पायलट आदि प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल हैं। कंपनी का अनुबंध आगामी 30 अप्रैल को खत्म हो रहा है। इसके बाद एक मई से नई कंपनी कैंप राज्य में इस सेवा का संचालन करेगी। लेकिन इस नई कंपनी द्वारा पुराने कार्मिकों का समायोजन नहीं किया जा रहा है। जिन्हें समायोजित करने की बात भी की जा रही हैं उन्हें पहले से मिलने वाले वेतन की तुलना में बहुत कम वेतन व भत्तों के साथ नई कंपनी अपने साथ जुड़ने के लिए कह रही है। कंपनी के पास जो फील्ड कर्मियों का थोड़ा स्टाफ है भी वह अप्रशिक्षित है। कहा कि राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग का रवैया भी असंवेदनशील बना हुआ है। फील्ड कर्मचारियों को समुचित आश्वासन नहीं दिया जा रहा है। इस बीच राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रविन्द्र जुगरान भी धरना स्थल पर पहुंचे और कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया। इस दौरान भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट, फील्ड कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीरज कुमार, सचिव विपिन चंद्र जमलोकी, अनिल रावत, उपेंद्र रावत, शीशपाल, राजमोहन सिंह, रमेश चंद्र, विक्रम सिंह, प्रदीप चौहान आदि उपस्थित रहे। सीएम के ओएसडी से की बात
108 के फील्ड कर्मचारियों के आंदोलन व एंबुलेंस के चक्के जाम होने से सरकारी तंत्र के हाथ-पांव फूल गए। हालांकि विभागीय अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। मगर धरातल पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। इधर, धरना स्थल पर सभा करने के लिए पहुंचे फील्ड कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी ऊर्बादत्त भट्ट ने वार्ता के लिए बुलाया। भाजपा कार्यालय में हुई वार्ता में उन्होंने कर्मचारियों को भरोसा दिया कि उनके भविष्य के बारे में उचित कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए आगामी 28 अप्रैल तक का समय देने की बात भी उन्होंने कही है। वहीं फील्ड कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव विपिन चंद्र जमलोकी का कहना है कि सीएम के ओएसडी से हुई वार्ता में सकारात्मक आश्वासन तो मिला है, लेकिन निर्णय लेने के लिए चार दिन का वक्त मांगे जाने पर भ्रम की स्थिति है। यदि इस अवधि में भी कोई निर्णय नहीं लिया गया तो चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।