आपतकालीन सेवा 108 कर्मी 24 अप्रैल को करेंगे सचिवालय कूच
आपातकालीन सेवा 108 कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि 23 अप्रैल तक कर्मचारियों को समायोजित नहीं किया जाता है तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
देहरादून, जेएनएन। आपातकालीन सेवा 108 और खुशियों की सवारी में कार्यरत फील्ड कर्मचारियों का भविष्य अधर में है। वर्तमान में इस सेवा का संचालन कर रही कंपनी जीवीके ईएमआरआइ का 30 अप्रैल को सरकार के साथ अनुबंध समाप्त हो रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को सेवा समाप्ति के नोटिस थमा दिए गए हैं।
कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप कर उन्हें नई कंपनी में समायोजित किए जाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी कि यदि 23 अप्रैल तक कर्मचारियों को समायोजित नहीं किया जाता है, तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। 24 अप्रैल को सेवा ठप कर प्रदेशभर के कर्मचारी सचिवालय कूच करेंगे।
शुक्रवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए 108 आपातकालीन सेवा फील्ड कर्मचारी संगठन के महासचिव विपिन जमलोकी ने कहा 30 अप्रैल को कंपनी का सरकार के साथ करार समाप्त हो रहा है। कंपनी ने तर्क दिया कि अनुबंध समाप्ति के चलते कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे उनके सामने परिवार का भरणपोषण करना मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि संगठन लगातार शासन से कर्मचारियों को नई कंपनी में समायोजित करने की मांग करता आ रहा है। लेकिन इस ओर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई। जबकि सभी कर्मचारी 12 मई, 2008 से आपातकालीन एंबुलेंस सेवाओं में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि इस बावत मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट ने कहा कि करीब दस साल से सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को एक झटके में बाहर कर देना न्यायोचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों के समायोजन की कार्रवाई करे। ताकि उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा न हो सके। प्रशिक्षित नहीं है नया स्टाफ कर्मचारियों का कहना है कि नई भर्ती में मानकों की भी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि फील्ड कर्मियों को 45 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है।
जिसमें 30 दिन की थ्योरी और 15 दिनों तक अस्पताल में प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन नई कंपनी ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है। सिर्फ तीन दिन की बेसिक जानकारी कर्मचारियों को दी जा रही है। सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो कोई बड़ी अनहोनी भी हो सकती है।
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