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उत्तराखंड में आपातकालीन सेवा पहुंची 'आपात' स्थिति में

उत्तराखंड में इस वक्त 108 सेवा वित्तीय संकट से जूझ रही है। इसके करीब 700 कर्मचारियों को तीन महीने से नहीं मिला है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sat, 26 Aug 2017 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 26 Aug 2017 10:47 PM (IST)
उत्तराखंड में आपातकालीन सेवा पहुंची 'आपात' स्थिति में
उत्तराखंड में आपातकालीन सेवा पहुंची 'आपात' स्थिति में

देहरादून, [जेएनएन]: आपातकालीन सेवा 108 के तकरीबन 700 कर्मचारी इस वक्त वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। कर्मियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। बजट की कमी से न सिर्फ कर्मचारी बल्कि 108 की सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। कुछ जगहों पर एंबुलेंस न मिलने से मरीज के लिए खुशियों की सवारी को भेजा जा रहा है, जबकि यह वाहन प्रसव के बाद माताओं और उनके नवजात शिशुओं को छोड़ने के लिए है। 

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उत्तराखंड में 108 का संचालन जीवीके ईएमआरआइ कंपनी करती है। यह एक गैर लाभकारी संस्था है और नियमानुसार इसका टीडीएस नहीं कटता। जबकि गत वर्षों में इस संस्था का टीडीएस कटता रहा है। ऐसे में विभाग ने संस्था को आयकर विभाग से पिछले 10 साल का लगभग 12 करोड़ रुपये का टीडीएस प्राप्त करने के लिए कहा है। कंपनी का 2008 में राज्य सरकार के साथ अनुबंध हुआ था और अगले साल मार्च 2018 में यह समाप्त हो रहा है।

विभाग यह मान रहा है कि इसके बाद टीडीएस निधि का उपयोग राज्य हित में नहीं हो पाएगा। ऐसे में नया भुगतान रोक दिया गया है। 108 एंबुलेंस के एक ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी चिंता ये नहीं कि किसने किसको भुगतान करना है बल्कि वह बच्चों की फीस व मासिक खर्च को लेकर परेशान हैं। अगर इस माह के अंत तक भुगतान नहीं होता है, तो वह नौकरी छोड़ देंगे। यह स्थिति आई तो आपातकालीन सेवा आपात स्थिति में आ जाएगी। 

108 के स्टेट हेड मनीष टिंकु ने कहा कि बजट के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कर्मचारियों का वेतन हमारी प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भी अगले सप्ताह तक कुछ पैसा जारी कर सकती है। जिससे बड़ी राहत मिलेगी। वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस  रावत के अनुसार एंबुलेंस के रखरखाव आदि को कुछ रकम जारी की जा रही है। 108 सेवा का भुगतान नहीं रोका गया है, बल्कि उन्हें अतिरिक्त भुगतान हुआ है। यह रकम आयकर विभाग से लेने को कहा गया है। 

बहरहाल इस बीच छह करोड़ रुपये जारी किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जीवीके के हैदराबाद स्थित मुख्यालय से ईंधन आदि के लिए धन लिया गया है, लेकिन कर्मचारियों के वेतन पर अड़ंगा लगा है। जिस पर हर माह करीब 1.5 करोड़ रुपये का खर्च है। 

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