नए साल में संवरेगी 100 गांवों की तस्वीर, रुकेगा पलायन; पढ़िए पूरी खबर
सरकार ने अगले साल 100 ऐसे गांवों पर फोकस करने की ठानी है जिनमें पलायन के कारण आबादी 50 फीसद से कम हुई है। प्रदेश में ऐसे गांवों की संख्या 534 है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे उत्तराखंड से निरंतर हो रहे पलायन पर नीति आयोग की संजीदगी को देखते हुए अब शासन भी सक्रिय हो गया है। नीति आयोग के सदस्य प्रो.रमेश चंद्र की 19 दिसंबर को होने वाली बैठक से पहले इन दिनों होमवर्क किया जा रहा है। सरकार ने अगले साल 100 ऐसे गांवों पर फोकस करने की ठानी है, जिनमें पलायन के कारण आबादी 50 फीसद से कम हुई है। प्रदेश में ऐसे गांवों की संख्या 534 है। चरणबद्ध ढंग से इनकी तस्वीर संवारने को प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
पलायन न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों में भी समस्या बनकर उभरा है। उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य है, जो आयोग गठित कर इस समस्या का समाधान ढूंढने के प्रयासों में जुटा है। प्रदेश की इस पहल का नीति आयोग ने भी संज्ञान लिया है। यह इससे साबित होता है कि नीति आयोग के सदस्य प्रो.रमेश चंद्र पलायन के मसले पर मंथन के लिए 19 दिसंबर को देहरादून आ रहे हैं। इस दिन वह सचिवालय में सुबह से लेकर शाम तक पलायन थामने को विभागवार तैयार होने वाली कार्ययोजना पर तफसील से चर्चा करेंगे।
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इसे देखते हुए सरकार और शासन भी सक्रिय हो गए हैं। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह पलायन को लेकर विभागों से निरंतर बैठकें कर रहे हैं। इस कड़ी में सरकार ने ऐसे गांवों पर मुख्य रूप से फोकस करने का निश्चय किया है, जहां वर्ष 2011 के बाद आबादी 50 फीसद से कम हुई है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के अनुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बीते रोज हुई बैठक में पहले साल ऐसे 100 गांवों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया। इन्हें चिह्नित कर विभागवार कार्ययोजना तैयार की जा रही हैं, ताकि वहां आर्थिकी संवर सके। इनमें पलायन आयोग के सुझावों को भी समाहित किया गया है।
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