बिटकॉइन से ढाई माह में 10 करोड़ का कारोबार
आयकर विभाग ने डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी का नेटवर्क चला रहे जिस दून निवासी अभिषेक बौड़ाई के नेहरूग्राम स्थित घर व फरीदाबाद की कंपनी पर छापा मारा।
देहरादून, [जेएनएन]: आयकर विभाग ने डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी का नेटवर्क चला रहे जिस दून निवासी अभिषेक बौड़ाई के नेहरूग्राम स्थित घर व फरीदाबाद की कंपनी पर छापा मारा, उसके ठिकानों से कारोबार से जुड़े अहम रिकॉर्ड हाथ लगे हैं। पता चला कि अभिषेक ने फरीदाबाद में क्रिप्टो सिक्योर सॉल्यूशंस प्रा.लि. कंपनी का संचालन पिछले साल दिसंबर माह में ही शुरू किया, जबकि महज ढाई माह के अंतराल में ही कंपनी ने डिजिटल करेंसी में 10 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर लिया।
आयकर अधिकारियों के मुताबिक, अभिषेक के ठिकानों से जुटाए गए रिकॉर्ड से स्पष्ट हुआ कि उसके नेटवर्क से अब तक 450 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। इन सभी लोगों की बाकायदा केवाईसी की गई है। बिटकॉइन में निवेश कर रहे कई लोग दून के भी हैं, जो संभवत: अपना कालाधन बिटकॉइन के जरिये विदेशों में निवेश कर रहे हैं।
प्रधान निदेशक अमरेंद्र के मुताबिक, जांच-पड़ताल जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि इसमें कितनी अघोषित आय जमा की गई है। बिटकॉइन निवेशकों का भी ब्योरा जुटाया जा रहा है, ताकि स्पष्ट हो सके कि कहीं वह अघोषित आय का निवेश डिजिटल करेंसी में तो नहीं कर रहे हैं।
यह है बिटकॉइन
जिस तरह रुपये, डॉलर आदि भौतिक करेंसी हैं, उससे ठीक इतर बिटकॉइन एक वर्चुअल (आभासी) करेंसी है। जिसे न हम छू सकते हैं, न ही देख सकते हैं। बिटकॉइन को हम सिर्फ ऑनलाइन वॉलेट में स्टोर कर सकते हैं। इसका अविष्कार सतोषी नाकामोटो नाम के एक इंजीनियर ने वर्ष 2009 में किया। तभी से इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक डी-सेंट्रलाइज्ड करेंसी (विकेंद्रीकत करेंसी) हैं, जिसका आशय यह हुआ कि इस पर कंट्रोल करने के लिए कोई बैंक, सरकार या कोई अन्य अथॉरिटी नहीं है।
इस करेंसी का प्रयोग किसी भी तरह के ट्रांजेक्शन के लिए किया जा सकता है। दुनिया में हजारों ऐसी कंपनियां हैं, जो इस करेंसी को स्वीकार कर रही हैं। इसका प्रयोग एक से दूसरे व्यक्ति के साथ बिना किसी बैंक, क्रेडिट कार्ड से किया जाता है। इसकी कोई निश्चित राशि भी नहीं है और मांग के अनुसार इसकी कीमत बदलती रहती है।
बिटकॉइन न वैध, न अवैध
भारत में बिटकॉइन न तो वैध या और न इसे अवैध करार दिया गया है। हालांकि आयकर विभाग बिटकॉइन के मामले में सिर्फ यह देखता है कि जो राशि इसमें निवेश की गई है, या जो कमाई इससे हुई है, उसका कोई लेखा-जोखा है भी या नहीं।