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दस फीसद आरक्षण का अध्यादेश विधानसभा में पेश

आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो के लिए दस फीसद आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश सत्र के दूसरे दिन सरकार ने विधानसभा पटल पर रखा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 08:01 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 08:01 PM (IST)
दस फीसद आरक्षण का अध्यादेश विधानसभा में पेश
दस फीसद आरक्षण का अध्यादेश विधानसभा में पेश

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो के लिए दस फीसद आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश सत्र के दूसरे दिन सरकार ने विधानसभा पटल पर रखा। सरकार ने गत पांच फरवरी को यह अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश में लाभार्थियों की पात्रता और इसे लागू न करने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का व्यक्ति योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य वर्ग के साथ चयनित होता है तो उसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाएगा।

मंगलवार को सदन में संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) अध्यादेश सदन में पेश किया। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी सेवाओं में राज्य के उन स्थायी निवासियों को आरक्षण मिलेगा, जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण की मौजूदा योजना में शामिल नहीं हैं। यह आरक्षण ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के व्यक्तियों पर लागू होगा, जिनके परिवारों की सभी स्रोत से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होगी। इस स्रोतों में कृषि, व्यवस्था व पेशा आदि से प्राप्त आय सम्मिलित होगी। आय का आधार लाभार्थी द्वारा आवेदन के वर्ष के पूर्व वित्तीय वर्ष की आय को बनाया जाएगा। हालांकि, जिन लोगों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक जमीन, एक हजार वर्ग फुट या उससे अधिक स्थान पर बना भवन, अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड और अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे अधिक का भूखंड होगा, वे इसके दायरे में नहीं आएंगे।

अध्यादेश में आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णो को आरक्षण देने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसका उल्लंघन करने अथवा इसे विफल करने के आशय से काम करने वाले दोषसिद्ध अधिकारी को तीन माह तक का कारावास व बीस हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह अध्यादेश वहां लागू नहीं होगा, जहां चयन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। यानी, जहां लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार हो चुका है।


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