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बाराकोट के ग्वीनाड़ा में जंगली सूअरों का आतंक

लोहाघाट क्षेत्र मेंबाराकोट विकास खंड के ग्वीनाड़ा गांव में इन दिनों जंगली सुअरों का आतंक व्याप्त है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 04:22 PM (IST)
बाराकोट के ग्वीनाड़ा में जंगली सूअरों का आतंक
बाराकोट के ग्वीनाड़ा में जंगली सूअरों का आतंक

संवाद सहयोगी लोहाघाट : बाराकोट विकास खंड के ग्वीनाड़ा गांव में इन दिनों जंगली सुअरों का आतंक व्याप्त है। शाम होते ही झुंड में आ रहे सूअर जहां खेती को चौपट कर रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से सूअरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

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बाराकोट क्षेत्र के संतोला, तल्ली ग्वीनाडा, मल्ली ग्वीनाड़ा, बंतोली, बापरू आदि गावों में भी कई दिनों से सूअरों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। विपिन चंद्र जोशी, भुवन चंद्र जोशी, केदार दत्त जोशी आदि ने बताया कि ग्वीनाड़ा और आसपास के गांवों में शाम छह बजे बाद ही 30 से 40 के झुंड में सूअर आ रहे हैं। बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोग खेती और सब्जी उत्पादन कर अपनी गुजर बसर करते हैं, लेकिन सुअर खेती नष्ट कर उन्हें काफी अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। उप प्रधान योगेश जोशी, जयंती जोशी, जगदीश जोशी, सोनू जोशी, महेश जोशी ने बताया कि वन विभाग से कई बार सुअरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की जा चुकी है। उनका कहना है कि सुअरों से ग्रामीणों की जान को भी खतरा है। इधर लोहाघाट विकास खंड के सुई, फोर्ती, कर्णकरायत, खेतीखान आदि इलाकों में भी जंगली सूअर खेती के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं। सुअरों के आतंक से परेशान काश्तकारों ने आलू की बुआई करना बंद कर दिया है।

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चम्पावत के ग्रामीण इलाकों में भी सुअरों से लोग परेशान

चम्पावत : जंगली सूअरों का आतंक पूरे जिले में व्याप्त है। जंगलों के आसपास लगे गांवों में तो दिन में ही सूअर दिख जाते हैं। सूखींढांग, बेलखेत, धौन, बनलेख आदि गांवों में कई काश्तकारों ने सूअरों के डर से खेती करना छोड़ दिया है। बाराकोट विकास खंड नौमाना, अतखंडी, डोबाभागू गांवों में पिछले 10 दिनों से सूअरों ने आलू की फसल चौपट कर दी है।

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वर्जन-

जंगली सूअरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों को आतंकी सूअरों को मारने की अनुमति दी जाती है। इसके लिए लाइसेंसी बंदूक धारी व्यक्ति को डीएफओ के नाम आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होता है। केवल नाप खेतों में ही वन विभाग के कर्मचारी की मौजूदगी में सूअरों को मारा जा सकता है। इसके लिए निश्चित अवधि का ही लाइसेंस जारी किया जाता है।

-एमएम भट्ट, एसडीओ, वन विभाग चम्पावत


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