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मौसम मेहरबान, व्यापारियों की चांदी

संवाद सहयोगी लोहाघाट मां बाराही देवी के धाम में खेली गई सुप्रसिद्ध बग्वाल के सैकड़ों नह

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 11:14 PM (IST)
मौसम मेहरबान, व्यापारियों की चांदी
मौसम मेहरबान, व्यापारियों की चांदी

संवाद सहयोगी, लोहाघाट : मां बाराही देवी के धाम में खेली गई सुप्रसिद्ध बग्वाल के सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों लोग साक्षी बने। यह पहला मौका होगा कि बग्वाल के समय बारिश नहीं हुआ। बारिश न होने से बग्वालवीरों ने जमकर बग्वाल खेली व दर्शकों ने भी जमकर आनंद उठाया। बग्वाल मेले में बरेली, बहेड़ी, मथुरा, हल्द्वानी, मुरादाबाद, रामनगर, धारचूला, मेरठ सहित देश के कौने-कौने से पहुंचे व्यापारियों के चेहरे खिले हुए दिखाई दिए। मुख्य मेले के दिन सुहावने मौसम के बीच हजारों लोगों ने जमकर खरीददारी की गई। व्यापारी ने बताया कि मौसम ठीक होने के कारण उनके द्वारा लाया गया सामन लोगों द्वारा बेहद पंसद किया।

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चेला पत्थर को उठा कर दिखाया दम

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में परंपरा के अनुसार अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए बग्वाली वीरों द्वारा चेला पत्थर को उठाने दशकों को पुरानी परंपरा आज भी जीवंत दिखाई दी। विभिन्न खामों व विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं द्वारा चेला पत्थर को उठाने का प्रयास किया गया। जिसमें कई लोगों द्वारा सफलता प्राप्त की गई परंतु कई लोग पत्थर को हिला भी नहीं पाएं। ऐसा माना जाता है कि जिसने पत्थर उठा लिया वह बग्वाल खेले जाने लायक है और जो उसे नहीं उठा पाता उसे अभी बगवाल खेलने के लिए तैयार होना पड़ेगा। एक मान्यता के अनुसार इस पत्थर को जिसने उठा लिया उसकी मनोकामना मां बाराही पूरी करती हैं।

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पत्थर युद्ध में घायल रणबांकुरों के चेहरे में नहीं था दर्द का एहसास

लोहाघाट : देवीधुरा में बग्वाल के दौरान घायल हुए रणबांकुरों के चेहरों में दर्द का एहसास नहीं था। उनका कहना था कि यह मां का आशीर्वाद है। कई लहूलुहान हुए रणबांकुरों का प्राथमिक उपचार मंदिर परिसर में लगे स्टाल व सरकारी अस्पताल में हुआ। मंदिर परिसर में सीएमओ डॉ. आरपी खंडूरी ने स्वयं घायल वीरों का प्राथमिक उपचार किया। बग्वाल में 122 रणबाकुंरे घायल दर्शकों का उपचार किया गया।

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बिच्छू घास से होता था उपचार

लोहाघाट : परंपरा के आधार पर देवीधुरा बग्वाल युद्ध में घायल योद्धाओं का उपचार बिच्छू घास लगाया जाता था। मान्यता रही है कि पत्थर लगने से घायल व्यक्ति को बिच्छू घास लगाने से वह जल्दी ठीक होता है। काफी पहले जब युद्ध में घायलों के उपचार के लिए स्वास्थ्य सुविधा नहीं थी तब चोट की जगह बिच्छू घास लगाई जाती थी।

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कड़ी सुरक्षा के बीच श्रद्धालुओं ने किए मां बाराही के दर्शन

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन खासा संजीदा दिखा। मंदिर में मत्था टेकने आए श्रद्धालुओं को कतार में लगाने सहित बग्वाल स्थल पर भीड़ जमा न होने देने के लिए एसपी डीएस गुंज्याल के दिशा निर्देशन में कई पुलिस अधिकारी कड़ी मशक्कत करते नजर आए।

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घंटों जाम में फंसे रहे दर्जनों वाहन

लोहाघाट : देवीधुरा, लोहाघाट व हल्द्वानी मार्ग में मेला क्षेत्र सहित मुख्य सड़क में कई जगह वाहनों के आड़े तिरछे खड़े होने के कारण जाम लगता रहा। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं व वीआईपी को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर यातायात में लगे पुलिस कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद जाम खुलवाया तथा कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने स्वयं व्यवस्था बनाते हुए जाम खुलवाने में कामयाबी हासिल की। जाम के कारण दूर दराज से आने वाले यात्री अपने गंतव्य में निर्धारित समय से कई घंटे विलंब से पहुंचे। यहां तक की जिलाधिकारी, एसपी, एडीएम, एडीएम, मेला मजिस्ट्रेट को मुख्य सड़क में इंतजार करना पड़ा। जाम खुलवाने के लिए पुलिस के जवानों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।

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टैक्सी वाहनों में लगी थी रेट लिस्ट

लोहाघाट : देवीधुरा बग्वाल मेले में दूर दराज से ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचने वाले यात्रियों व श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए टैक्सी में चालकों ने रेट लिस्ट लगाई थी। दिनभर ग्रामीण क्षेत्रों से मेला देखने सड़कों में वाहनों व पैदल भीड़ देखने को मिली।

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पूर्व मुख्यमंत्री के साथ ली सेल्फी

लोहाघाट : बग्वाल मेला देखने पहुंची पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी दर्शक दीर्घा से उठकर जाने लगे तो सेल्फी लेने वाले युवक युवतियों ने उन्हें घेर लिए। उन्होने चुटकी लेते हुए पहले मुझे भगतदा कहते थे अब मुझे लोग भगतदा बूबू कहते है। लोगों उनके साथ खूब सेल्फी की।

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देवीधुरा मेले को राज्य मेला घोषित करने की मांग

लोहाघाट: भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा ने देवीधुरा बग्वाल मेले को राज्य मेला घोषित करने की मांग कि। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की दहेज पुस्तिका का विमोचन किया। साथ ही मेला समिति के लोगों ने सांसद अजय टम्टा, विधायक पूरन सिंह फत्र्याल को मांग पत्र सौंपा।

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पंडितों ने कराई पूजा अर्चना

लोहाघाट : देवीधुरा बग्वाल मेले के दौरान सुबह से मां के गृभगृह में दर्शन करने वालों की भीड़ उमड़ आई लोगों ने घंटों इंतजार के बाद गृभगृह विराजमान मां के दर्शन किए। मंदिर के ओर जाने वाले मार्ग के दोनों ओर बैठे पंडितों ने पूजा अर्चना संपन्न कराई। दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को वर्ष भर खुशहाली की कामना की।

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पूर्व मुख्यमंत्री समेत लोगों ने कि पूजा अर्चना

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, केसी सिंह बाबा, राम सिंह कैंड़ा ने मंदिर में पूजा अर्चना की। पीठाचार्य भुवन चंद्र जोशी ने मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना संपन्न कराई।

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रणबाकुंरे नहीं हो पाए बग्वाल में शामिल

लोहाघाट : देवीधुरा बग्वाल मेले में गहडवाल खाम के करीब बीस से पच्चीस रणबांकुरे बग्वाल में शामिल न हो पाने के कारण उन्होंने नाराजगी जताई। बग्वाल चलने तक मंदिर के समीप खडे़ रहे। बाद में चारों खामों के मुखियाओं की बैठक का आयोजन कर हल निकालने की बात कही। मेला समिति के लोगों ने बताया कि बाद में मामला शांत हो गया।

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मैदान में सबसे पहले उतरे वालिग खाम के वीर

लोहाघाट : बग्वाल खेलने पहला जत्था वालिक खाम का पहुंचा जिसके के कुछ ही देर बाद दूसरा जत्था लमगड़िया खाम, तीसरा जत्था चम्याल खाम सबसे अंत में मैदान में पहुंचे गहडवाल खाम के बग्वाली वीर पहुंचे। चारों खामों के बग्वाली वीरों द्वारा मैदान की परिक्रमा के बाद बग्वाल शुस् की गई। चारों खामों द्वारा की गई बग्वाल का पीठाचार्य भुवन चन्द्र जोशी तथा कीर्ति बल्लभ शास्त्री दर्शकों को युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाते रहे।

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देश विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर उठाया बग्वाल का आनंद

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में देश विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बग्वाल मेले का जमकर आनंद उठाया। बग्वाल खेलने के लिए खोली खांड़ दुबाचौड़ मैदान में पहुंचे बग्वाली वीरों का जोशीले अंदाज में मंदिर की परिक्रमा करना विदेशी श्रद्धालुओं का खासा भाया। वहीं जैसे ही चार खामों के लोगों ने मंदिर की परिक्रमा के उपरांत मंदिर के पुजारी के आदेश पर बग्वाल खेलना शुरू किया तो इस रौंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य को देखते देखते कुछ पल के लिए श्रद्धालुओं खामोश हो गए। ऐसा रोमांचक दृश्य उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा।

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युवाओं ने किया हुड़किया बोल का गायन

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में चार खामों के लोगों के पहुंचने से पहले वहां पहुंचे लोगों ने हुडकियां बोल का गायन किया। खोलीखांड मैदान में एकत्रित हुए युवाओं ने हथ जोड़े लगाकर देवी मां बाराही तू दैणी है जाए के साथ गीतों का गायन किया।

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बग्वाली वीरों के उपर दर्शकों ने की पुष्प वर्षा

लोहाघाट: ठीक दोपहर बाद खोलीखाड मैदान में जब ई हो हो के जयकारों के साथ हाथो में डंडे व फर्रे लेकर बग्वाल खेलने पहुंचे बग्वाली वीर मैदान में पहुंचे तो खोलीखांड मैदान सफेद, पीला, केसरिया व नारंगी रंग में रंग गया। दर्शकों ने बग्वाली वीरों के उपर फूल अक्षत की पुष्प वर्षा की।

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घरों के छतों पर खडे़ होकर देखी बग्वाल

लोहाघाट : बग्वाल शुरू होने से पहले ही लोगों ने घरों के छतों में अपनी जगह पक्की की। बग्वाल शुरू होते ही मैदान के आसपास व घरों के छतों में तिल रखने को जगह नही मिली जिसको जहां जगह मिली लोगों ने वही खड़े हो कर बग्वाल का आनंद उठाया।

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देवीधुरा बाजार में तिल रखने को नही मिली जगह

लोहाघाट : देवीधुरा मेले में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ आई मुख्य मार्ग से खोली खाड मैदान पहुंचने तक लगभग आधे घंटे का श्रद्धालुओं को भीड़ से निकलने का समय लगा। श्रद्धालु जय माता के नारे लगाते आगे बढ़ते रहे।

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मुख्य मेला संपन्न होते ही सुरक्षा कर्मियों ने राहत की सांस ली

लोहाघाट: भीड़ को देखते पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए थे। देवीधुरा से लगभग एक किमी दूर पुलिस बैरिक डाल कर वाहनों की आवाजाही को बंद किया था। पुलिस अधीक्षक डीएस गुंज्याल के दिशा निर्देशन में पीएससी, पुलिस, होम गार्ड, पीआरडी के जवान सहित जिले की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों ने मेला समाप्त होते है राहत की सांस ली।

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मेला शांति पूर्व संपन्न होने पर जताया आभार

लोहाघाट: देवीधुरा बग्वाल मुख्य मेला शांति पूर्व संपन्न होने पर संरक्षक मेला समिति लक्ष्मण सिंह लमगडिया, मेला समिति अध्यक्ष खीम सिंह लमगडिया, मोहन सिंह, विनोद बिष्ट, विनोद गड़कोटी सहित चारों खामों के लोगों ने सभी सहयोगियों का आभार जताया।

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कई व्यवस्थाओं के बाद भी रहा अव्यवस्थाओं का बोलबाला

लोहाघाट : देश विदेश में पत्थर युद्ध के लिए प्रसिद्ध देवीधुरा के बग्वाल मेले की चमक यहां की अव्यवस्थाओं ने फीकी कर दी है। शासन प्रशासन के नुमाइंदों की उपेक्षा के कारण यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। मेले के उद्घाटन के दौरान प्रतिवर्ष की जाने वाली बड़ी-बड़ी घोषणाएं आने वाले वर्ष में फिर से दोहराई जाती हैं, सरकारी मशीनरी की उदासीनता यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भारी पड़ रही हैं।


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