तड़प रहे बेजुबान, चिकित्सक नहीं मेहरबान
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : लोहाघाट का इतना बड़ा चिकित्सालय मगर चौंकाने वाली बात है कि यहां पर
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : लोहाघाट का इतना बड़ा चिकित्सालय मगर चौंकाने वाली बात है कि यहां पर पशु चिकित्सक ही नहीं। अब असमंजस से घिरे पशुपालक तड़प रहे बीमार पशुओं के इलाज को भटकना पड़ रहा है। ऐसे में पालकों की आजीविका पर भी ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। आजीविका को आश्रित पालक अब इनके इलाज को भटक रहे हैं।
बाराकोट विकास खंड के ग्रामसभा इजड़ा में पशुपालकों पर चिंता की लकीरें उभरी हैं। उन्हे अपने परिवारों पर संकट के बादल छाए हैं। दरअसल, ग्रामीण कृषि व पशु पालन कर आजीविका चलाते हैं। इनके पशुधन प्रसार केंद्र का छह माह पहले उच्चीकरण कर पशु चिकित्सालय तो बना दिया गया,मगर अब तक यहां पशु चिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी। जिससे इलाज न होने पर पालकों के लिए रोजी का संकट भी आ गया है। बता दें कि क्षेत्र के लगभग तीन हजार की आबादी में सैंकड़ों पशुपालकों ने गाय, भैस,बकरी व अन्य जानवर है। इजड़ा के साथ ही रावलगांव, सिमलटुकरा, लोहाश्री, सूरी, सूराकोट, पड़ासों सेरा, डठी गांव, सेरी, कनियाना ग्राम पंचायतों के बीच भी कोई चिकित्सा सुविधा नहीं है। इतना बड़ा क्षेत्र होने के बावजूद अब तक प्रशासन की नजरों से उपेक्षित है। अब यहां के लोगों को बाराकोट और लोहाघाट दौड़ लगानी पड़ती है।
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केंद्र के भवन खंडहर में हो रहे है तब्दील
लोहाघाट : लगभग 1980 में पशुधन प्रसार केंद्र का निर्माण किया गया था। कुछ साल तक व्यवस्थाएं ठीक चली, लेकिन अब केंद्र के लिए बने भवन भी खंडहर में तब्दील होने लगे हैं। बीते माह उच्चीकरण कर पशु चिकित्सालय बनाया गया था तो लोगों को बेहतर सुविधा की उम्मीद थी, लेकिन अब पशु पालकों के हाथ सिर्फ मायूसी ही लगी है। जबकि यहां के लोगों का एकमात्र साधन पशु पालन ही है।
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वर्जन
केंद्र का उच्चीकरण करा दिया गया है, लेकिन शासन स्तर से ही पशु चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। शासन स्तर से ही तैनाती होगी। इसके लिए कई बार पत्र व्यवहार भी किया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। उम्मीद है कि जल्द ही पशु चिकित्सक की तैनाती हो जाएगी। =
बीएस जंगपागी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी