ऐसो दानी राजा हरीश चंद्र सब दान दियो मुनियन का..
संवाद सहयोगी लोहाघाट नेपाल सीमा से लगे चमदेवल के चमू देवता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मंगलव
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : नेपाल सीमा से लगे चमदेवल के चमू देवता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मंगलवार को तीन दिवसीय चैतोला मेले का समापन हो गया। जिसके बाद देर रात मड़ गांव के सिद्ध बाबा मंदिर में क्षेत्रवासियों द्वारा खड़ी होली का गायन किया गया। क्षेत्र के लोगों ने देर रात तक जमकर होली का गायन कर अगले वर्ष राजी खुशी मिलने की एक दूसरे को बधाई दी।
मान्यता के अनुसार द्वापर युग में गुमदेश क्षेत्र में बकासुर नामक राक्षक आतंक का पर्याय बन गया था। राक्षस प्रतिदिन एक परिवार से एक व्यक्ति की बलि व उसका भक्षण करता था। उसके आतंक से लोगों का बुरा हाल था और क्षेत्र में दिन प्रतिदिन उसका भय बढ़ता ही जा रहा था। होली के छलड़ी के दिन बाकासुर नाम के राक्षस का चमू देवता ने अंत किया गया था। उस दिन से क्षेत्रवासियों द्वारा चैतोला मेले में खड़ी होली का गायन किया जाता है। मंगलवार की देर शाम चमू देवता व भगवती मंदिरों में पूजा अर्चना के बाद मड़ गांव के सिद्ध बाबा मंदिर परिसर में देर रात तक ऐसो दानी राजा हरीश चंद्र सब दान दियो मुनियन को, मद लूटो नंद के लाल प्यारे मोहनिया, ऐसी चातुर नारी श्रवण मारो छ होली के साथ ही महिलाओं व पुस्षों ने कफू बासों जैठ, न्योली बासो बारह मासा का हथ जोडे़ लगाकर ढुस्कों का गायन किया। देर रात तक अबीर गुलाल के रंग में रंगे क्षेत्रवासियों को देख कर मानों लग रहा था कि एक बार फिर होली का पर्व फिर लौट आया हो। देर रात तक मंदिर परिसर में ढोलों की थाप पर होली का गायन हुआ। इस दौरान शंकर दत्त पांडेय, जगत सिंह धामी, मान सिंह, माधो सिंह, दान सिंह, रघुबर सिंह, लक्ष्मण सिंह, विनोद सिंह,मदन कलौनी, हरीश चंद्र, महेश चंद्र पांडेय, कुंदन सिंह, पार्वती देवी, जानकी देवी, कलावती देवी, गीता धौनी, नरी देवी, सीता देवी आदि लोग मौजूद रहे।