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पशुओं में फैल रहा 'थ्री डे सिकनेस' रोग

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत बदलते मौसम का असर मनुष्य में ही नहीं बल्कि जानवरों पर भी पड़ रहा ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 03:31 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 03:31 PM (IST)
पशुओं में फैल रहा 'थ्री डे सिकनेस' रोग
पशुओं में फैल रहा 'थ्री डे सिकनेस' रोग

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत

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बदलते मौसम का असर मनुष्य में ही नहीं बल्कि जानवरों पर भी पड़ रहा है। आम जन जहां वायरल से परेशान है वहीं पशुओं में थी थ्री डे सिकनेस या इफिमेरल वायरल नाम का रोग फैल रहा है। जनपद में अब तक दो सौ से अधिक पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं। पशु चिकित्सकों की टीम नियमित रूप से क्षेत्र में भ्रमण कर जानवरों का उपचार कर रही है। यह रोग बड़े मच्छर 'डांस' के काटने से फैल रहा है। अगर समय रहते पशु का उपचार नहीं किया गया तो पशु की मौत भी हो सकती है। जब जागरण ने पशु चिकित्साधिकारी डॉ. जेपी यादव से बात की तो उन्होंने विस्तार से इसकी जानकारी देते हुए इसके लक्षण व उपाय के बारे में बताया। क्या है थ्री डे सिकनेस रोग

डॉ. यादव ने बताया कि अक्सर बारिश के समय या उसके बाद डांस नाम का मच्छर पैदा हो जाते हैं। जो पशुओं को काटकर बीमार कर देते हैं। इन्हीं मच्छरों द्वारा अन्य पशुओं के काटने से यह रोग निरंतर फैलता रहता है। इसे इफिमेरल फीवर के नाम से भी जानते हैं। जिसमें पशु को तीन दिन तक लगातार बुखार रहता है। पशु के पैर लड़खड़ाने लगते हैं। लंगड़ा कर चलता है। चारा पानी छोड़ देता है। शरीर का तापमान बढ़ जाता है। समय से उपचार न करने पर पशु की मृत्यु भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि गर्भीत पशु इस बीमारी के चपेट मे आने से बैठने लगते हैं और उन्हें खडे़ होने में दिक्कत होती है। ऐसे करें रोग से बचाव

डॉ. यादव ने बताया कि ऐसे लक्षण पता चलने पर पशुपालक को तुरंत पशु चिकित्साधिकारी से संपर्क करना चाहिए। पीड़ित पशुओं को गुनगुना पानी देना चाहिए। पशुओं को बुखार व दर्द कम करने वाली दवा के साथ-साथ भूख बढ़ाने वाली दवा भी देनी चाहिए। लगातार इन दवाओं को देने से पशु दो तीन दिन मे ठीक हो जाता है। गर्भीत पशुओं में रोग का पता लगने पर उन्हें उपचार के लिए उन्हे माइफैबस तथा डीएनए की बोतल चढ़ाने की जरूरत होती है। इसके साथ आंटीजन का 15 एमएल इंजेक्शन दो दिन देने से पशु स्वस्थ हो जाता है। ऐसे कर सकते हैं बचाव

डॉ. यादव ने बताया कि अन्य पशुओं में यह रोग न फैले इसके लिए हमें काफी सावधानी बरने की आवश्यकता है। गोशाला की नियमित साफ करें। धुंआ लगाएं। पशुओं को बाहर बांधने पर भी धुआं लगाएं। जिससे मच्छर जानवर तक न पहुंच पाएं।


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