कलाखर्क तोक में सड़क नहीं, पानी के अभाव में हो रहा पलायन
चम्पावत सड़क बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ्य ऐसी बुनियादी जरूरतें हैं जिनमें से एक भी पूरी नहीं हुई तो विकास चक्र अधूरा माना जाता है।
संवाद सहयोगी, चम्पावत : सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य ऐसी बुनियादी जरूरतें हैं जिनमें से एक भी पूरी नहीं हुई तो विकास चक्र अधूरा माना जाता है। जिले के अधिकांश गांवों में अब तक सड़क सुविधा न होने से लोग पलायन करते आए हैं, लेकिन पाटी विकास खंड के तपनीपाल ग्राम पंचायत के दो ऐसे तोक हैं जहां लोग पानी न होने से पलायन कर रहे हैं। बचे परिवारों ने अब जंगली जानवरों के आतंक से खेती-बाड़ी करना छोड़ दिया है।
कलाखर्क तोक में कभी 25 परिवार निवास करते थे। जिनमें से अब 12 परिवार ही यहां बचे हैं। ग्राम पंचायत के कुल्लातोक में 15 में से एक मात्र परिवार रह गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पेयजल संकट के कारण गांव छोड़ना पड़ा। अधिकांश आबादी के पलायन कर जाने से गांव में खेती का रकबा भी कम हो गया है। दस साल पूर्व यहां आलू, सरसों, धान, सेब, नाशपाती का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता था, लेकिन जब से लोगों ने गांव छोड़ा तब से सब कुछ सूना-सूना हो गया है। इन तोकों में बचे परिवारों ने अब जंगली जानवरों के आतंक से परेशान होकर खेती करना छोड़ दिया है। कलाखर्क निवासी प्रयाग दत्त, किरन जुकरिया, ममता जुकरिया, भास्कर जुकरिया, गणेश दत्त, जगदीश चंद्र जुकरिया ने बताया कि स्थानीय स्तर पर रोजगार का कोई साधन न होने से दोंनों तोकों को युवा नौकरी की तलाश में बाहर निकल गए हैं। तोक में अब सिर्फ बुजुर्ग लोगों ही रह गए हैं। जिन्हें अभी भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। पांच साल पूर्व स्वजल परियोजना से बनाई गई पेयजल लाइन के पाइप क्षतिग्रस्त हो गए हैं। तब से लेकर इन गांवों में सरकारी तौर पर पानी की कोई योजना नहीं बनी है।
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प्राथमिक विद्यालय का भी बुरा हाल
कलाखर्क में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय भी बदहाल है। बारिश के समय विद्यालय की छत टपकती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो जाती है। इसके अलावा विद्यालय में अभी तक पेयजल संयोजन तक नहीं दिया गया है। पानी न होने से विद्यालय की मिड-डे-मील योजना प्रभावित हो गई है। ::::::ग्रामीण बोले- ग्राम पंचायतों का विकास केंद्रीयकृत हो गया है। पंचायतों के ही अपने तोक विकास से वंचित हैं। कलाखर्क और कुल्ला तोक में पेयजल संकट के कारण पलायन हुआ है। इसके अलावा अन्य बुनियादी समस्याएं भी जस की तस हैं।
-सुभाष जुकरिया, सामाजिक कार्यकर्ता
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रोजगार शुरू करने के लिए मैने गांव में सब्जी उत्पादन किया, लेकिन पानी न होने से सब कुछ चौपट हो गया है। गांव में पीने के लिए ही पानी नहीं है तो पौधों की सिंचाई की बात कौन करे। जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासन के अधिकारियों ने गांव की उपेक्षा की है।
-दिनेश चंद्र, ग्रामीण
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स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन हों तो फिर युवा एक पल के लिए कुछ सोच सकता है। जहां विकास की किरण ही नहीं पहुंचे वहां एक पल रहना भी बेकार है। कलाखर्क और कुल्ला गांव से पलायन का यही प्रमुख कारण है।
-बलदेव प्रसाद, ग्रामीण
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गांवों के विकास की बातें सिर्फ मुंह जुबानी होती हैं। यह बात कलाखर्क और कुल्ला गांव की स्थिति देखकर आसानी से समझी जा सकती है। जहां पेयजल तक की सुविधा न हो वहां रोजगार और खेती बाड़ी की उम्मीद करना बेईमानी है।
- राजेंद्र प्रसाद, ग्रामीण
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वर्जन-
कलाखर्क और कुल्ला गांव में पेयजल संकट के कारण पलायन होगा गंभीर मामला है। उनके संज्ञान में यह बात पहली बार आई है। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी से इसकी रिपोर्ट तलब कर गावों में पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे।
-डा. अमित ममगई, खंड विकास अधिकारी, पाटी