बजट के अभाव में अटकी योजनाएं
जागरण संवाददाता, चम्पावत : जंगलों को बसाने व उसमें पानी की समस्याओं समेत अन्य कार्यो को करने
जागरण संवाददाता, चम्पावत : जंगलों को बसाने व उसमें पानी की समस्याओं समेत अन्य कार्यो को करने के लिए वन विभाग ने करोड़ों रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन में भेज तो दिया है, लेकिन शासन से योजनाओं में नाम मात्र बजट मिल सका है। बजट न मिल पाने के कारण योजनाओं का कार्य लटका हुआ है। जिससे वन क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
वनों के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत वन विभाग को प्रति वर्ष करोड़ों रुपयों का बजट दिया जाता है। जिसमें जायका योजना के तहत चार से पांच करोड़ मिलता है। जिसमें चाल खाल का निर्माण कराने के साथ प्लांटेशन का कार्य किया जाता है। जिसमें अभी तक मात्र दो करोड़ का बजट ही मिल सका है। वहीं कैंपा योजना के तहत दो से तीन करोड़ का बजट रिलीज होता है। जिसमें मिले 70 लाख से सिर्फ चाल खाल आदि का ही निर्माण कार्य हो सका है। अन्य कार्य बजट के अभाव में लटके हुए हैं। वहीं राज्य योजना के तहत एक से डेढ़ करोड़ रुपये का बजट मिलता है। जिसके तहत अग्नि सुरक्षा, चालखाल निर्माण, नर्सरी निर्माण, ट्रेनिंग, गोष्ठी, जागरूकता अभियान के साथ वाइल्ड लाइफ एनिमल प्रोटेक्शन पर कार्य कराया जाता है। वहीं केंद्र से मिलने वाले 20 से 25 लाख के बजट से अग्नि सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं। मगर केंद्र व राज्य से मिलने वाले बजट में फूटी कौड़ी नहीं मिल सकी है। जिस कारण विभाग द्वारा तैयार वनों के विकास के लिए बनी योजनाएं धरी की धरी हुई है। वहीं बात करें पंचेश्वर बांध निर्माण में पेड़ों की गिनती की तो वह भी बजट के अभाव में लंबे समय से रूकी हुई है। बजट न मिलने से योजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वर्जन-
शासन से विभिन्न योजनाओं के मद में बजट की डिमांड की गई है लेकिन कुछ योजनाओं में केवल नाम मात्र बजट ही मिल सका है। बजट न मिलने से वन विकास के कई कार्य अटके हुए हैं।
- कुबेर सिंह बिष्ट, डीएफओ, चम्पावत वन प्रभाग