22 साल बाद भी चम्पावत जिले की नहीं बदली सीरत और सूरत
विनय कुमार शर्मा चम्पावत जनपद आज अपने स्थापना का 23वां जन्मोत्सव मना रहा है। यौवन की दहलीज पर ख्
विनय कुमार शर्मा, चम्पावत
जनपद आज अपने स्थापना का 23वां जन्मोत्सव मना रहा है। यौवन की दहलीज पर खड़ा यह जिला आज भी बुनियादी सुविधाओं से दो चार है। स्थानीय संसाधनों पर आज भी यहां के लोगों को हक, हकूक नहीं मिल पाए हैं। जवानी बेकार जा रही है तो जल, जंगल, जमीन का अस्तित्व सिमट रहा है। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। तंत्र की काहिली और नीति नियंताओं की बेरूखी से स्थानीय संसाधनों पर आाधारित योजनाएं न बनने से साल दर साल गांवों से पलायन हो रहा है। भ्रष्टाचार का दीमक विकास की जड़ें खोखली करने में जुटा हुआ है। जातिवाद की विष बेल आपसी एकता में जहर घोल रहीं हैं। विकास न होने के लिए सिस्टम और सरकारें जिम्मेदार हो सकती हैं, लेकिन यहां की साझा संस्कृति को हो रहे नुकसान के लिए कहीं न कहीं समाज की सोच और उसकी कार्यप्रणाली जिम्मेदार है। समय की मांग है कि जिले के चहुंमुखी विकास के लिए सभी लोग एक साथ आगे आएं ताकि जिला अपनी स्थापना के 23वें वर्ष में अपने अरमानों को पूरा कर सके।
15 सितंबर 1997 को पिथौरागढ़ जिले से चम्पावत जिले को पृथक कर इसे नया जिला बनाया गया था। जिला बनाने का श्रेय उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती को मिला था। तब से आज तक प्रतिवर्ष 15 सितंबर को जिले का स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। जिन उद्देश्यों के लिए जिले का गठन किया गया था वह उद्देश्य आज भी अप्रासंगिक हैं। शुरूआत में जिले का विकास नियोजित व पारदर्शी तरीके से हुआ तो इसका श्रेय पहले जिलाधिकारी नवीन शर्मा को जाता है। बाद के डीएम तारकेंद्र वैष्णव, गोपाल कृष्ण द्विवेदी, अवनेंद्र नयाल, श्रीधर बाबू अद्दांकी, डॉ. अहमद इकबाल, रणबीर चौहान और अब सुरेंद्र नारायण पांडेय विकास की गति को आगे बढ़ा रहे हैं। एसडीएम रहे जेसी कांडपाल, पुलिस कप्तान कृष्ण कुमार वीके, अनंत शंकर ताकवाले, आरसी राजगुरु को लोग उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए आज भी उन्हें याद करते हैं। वर्तनाम में पुलिस कप्तान के रूप में धीरेन्द्र गुंज्याल यहां की कानून और यातायात व्यवस्था को चाक चौबंद करने में जुटे हुए हैं। अधिकारियों के ईमानदार प्रयास के बावजूद जनपद को भ्रष्टाचार की बेड़ियों से मुक्ति नहीं मिल पाई। पिछले 22 सालों में तकरीबन 40 अरब रुपये खर्च ने के बावजूद योजनाओं को धरातल में ढूंढना मुश्किल हो रहा है। इसका कारण कतिपय विभागों की भ्रष्ट नीति और अफसरों की जेब भरों की रणनीति जिम्मेदार मानी जा रही है। फलस्वरूप स्थिति यह है कि अफसर-नेता मालामाल होते जा रहे हैं और जनता का हाल बेहाल होता जा रहा है। ऐसा नहीं कि इन सालों में कुछ भी नहीं हुआ। कई ऐसे विकास कार्य हुए हैं जो आज जनता और जनपद के विकास में मील का पत्थर हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हमारे जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को एक साथ मिलकर नई सोच के साथ जनपद के विकास के बारे में सोचना होगा। तभी जनपद दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर सकेगा।
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जनपद के विकास के लिए सरकार गंभीर है। नित नए विकास कार्य कराए जा रहे हैं। जनपद में जिन बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है उन पर तेजी से कार्य कराया जाएगा। 22 सालों में काफी विकास हुआ और आगे भी यूं ही होता रहेगा। स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में कई नए कार्य हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे। मूलभूत सुविधाओं में निरंतर विकास हो रहा है।
- कैलाश गहतोड़ी, विधायक चम्पावत।
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जनपद में जनता को सभी मूलभूत सुविधाएं मिलें। पलायन रूके और शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य हों। इसके लिए सरकार अग्रसर हैं। हम भी इसके लिए निरंतर प्रयासरत है। इन 22 सालों में जनपद ने काफी विकास किया है। जनपद में कई विकास कार्य प्रगति में है। आने वाले दो तीन सालों में जनपद की सीरत व सूरत में काफी बदलाव देखने को मिलेगा। - पूरन फत्र्याल, विधायक लोहाघाट।