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कौन कहता है खुद को मिटा दूंगा मैं, राह एकाकी चल के दिखा दूंगा मैं..

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की ओर से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 10:30 PM (IST)
कौन कहता है खुद को मिटा दूंगा मैं, राह एकाकी चल के दिखा दूंगा मैं..
कौन कहता है खुद को मिटा दूंगा मैं, राह एकाकी चल के दिखा दूंगा मैं..

संस, चम्पावत : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की ओर से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। श्री कुर्माचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय में आयोजित गोष्ठी में कवियों ने विभिन्न समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। बाल कवियों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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कार्यक्रम की शुरुआत डा. भुवन चंद्र जोशी ने-फिर से चाह रहे वो बचपन, जिसको पीछे छोड़ दिया.., हिमांशु ओली ने-और वे पूछते हैं, तुम्हारे देश में हिदी की स्थिति कैसी है.., शिक्षक सामश्रवा आर्य ने-आओ बच्चो तुम्हें बताएं, महत्ता स्वच्छ अभियान की, इस भारत को स्वच्छ बनाएं, हो अभिलाषा इंसान की.., कविता प्रस्तुत कर स्वच्छ भारत अभियान की उपयोगिता को रेखांकित किया। संगीता बिष्ट ने-जिंदगी के सवाल विषय पर अपनी रचना प्रस्तुत की। पूजा रजवार ने-बेटा बेटी के सवालों से कहीं दूर, मैं उसके ममत्व का प्यारा से जबाव हूं.., बबीता पंत ने- एक लड़की अपने अरमानों की सीखों में.., डा. तिलक राज जोशी ने-सच कहता हूं, जब भी देखूं, तुम अनुपम ही सी लगती हो.., डा. अजय रस्तोगी अविरल ने-कौन कहता है खुद को मिटा दूंगा मैं, राह एकाकी चल के दिखा दूंगा मैं.., कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावों से भर दिया। डा. कीर्ति बल्लभ सक्टा ने भी अपनी रचानाओं से समा बांधा। सुभाष जोशी ने महंगाई पर व्यंग कसते हुए-महंगाई की ज्वाला में, जलता जीवन धूं धूं कर कविता प्रस्तुत की। डा. सतीश चंद्र पांडेय ने-स्वारथ की खातिर दूजे का, दिल नहीं दुखाना है, आज नहीं तो कल सबने, मिट्टी में मिल जाना है.., कविता प्रस्तुत की। हिमांशु जोशी ने-मन करता है जीवन में अब, फिर बच्चा बन जाऊं मैं.., पुष्कर सिंह बोहरा ने-शिव मंदिर में सर्प दिखे, पुष्पों से पूजा जाता है, वही सांप अन्यत्र मिले, डंडों से मारा जाता है.., कविता से श्रोताओं का मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन किया। डा. विष्णु दत्त भट्ट सरल ने-सत्य, अहिसा, प्रेम का देकर शुभ संदेश, गांधी जी को विश्व में आदर मिला विशेष कविता से गांधी जी को श्रद्धांजलि दी। नवीन चंद्र पंत ने-व्यथित होकर नियति से, परम शांति व विश्राम चाहता हूं.., कविता पेश की।


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