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लोहाघाट में मनाया गया दशहरा पर्व, लोगों ने बुराइयों को दूर करने का लिया संकल्प

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व चम्पावत जिले में धूम-धाम से मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:03 AM (IST)
लोहाघाट में मनाया गया दशहरा पर्व, लोगों ने बुराइयों को दूर करने का लिया संकल्प
लोहाघाट में मनाया गया दशहरा पर्व, लोगों ने बुराइयों को दूर करने का लिया संकल्प

चम्पावत/लोहाघाट, जेएनएन : बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व जिले में धूम-धाम से मनाया गया। कोविड के चलते इस बार सार्वजनिक रूप से बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन भले ही नहीं हुआ, लेकिन लोगों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं बुराइयों को दूर करने का संकल्प लिया।

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लोहाघाट के नजदीकी गांव सुई पऊ के गलचौड़ा मंदिर में युवाओं ने पूजा अर्चना कर अपने अंदर से बुराइयों का खात्मा कर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। निक्कू ओली के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में नितिन चतुर्वेदी, मुकुल ओली, गौरव जोशी, विवेक ओली, कमल ओली, सुनील शर्मा, अन्नू गहतोड़ी आदि युवा शामिल रहे। चम्पावत के गोलज्यू मंदिर, मानेश्वर मंदिर और डिप्टेश्वर मंदिर में भी लोगों ने सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आए श्रद्धालुओं से नशे का सेवन न करने के संकल्प पत्र भरवाए गए। लोहाघाट के ऋषेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। इधर जिले के सभी मंदिरों में रविवार की सुबह हवन के साथ कन्या पूजन कर नौ दिनों से चले आ रहे व्रत का पारायण किया। ====== कड़ाई व गलचौड़ा मंदिर में देवडांगरों ने गद्दी लगाकर दिया आशीर्वाद

-भगवती के बेताल ने खाई गाल, दुग्ध और पवित्र जल से किया स्नान संवाद सहयोगी, लोहाघाट : नगर से चार किमी दूर विशुंग के मां कड़ाई देवी मंदिर व सुई पऊ के प्रसिद्ध गलचौड़ा बाबा मंदिर में दशहरे के दिन देव डांगरों के शरीर में अवतरित देवी देवताओं ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। इससे पूर्व कड़ाई मंदिर में मां भगवती के बेताल ने दूध, अक्षत व फलों का भोग लगाया। चार द्योली के देव डांगरों ने दूध और पवित्र जल से स्नान किया। बाद में देव डांगर चार द्योली की परिक्रमा कर गलचौड़ा मंदिर पहुंचे और यहां भी न्याय की गद्दी लगाई। इस दौरान भगवती के बेताल को अक्षत और दूध का भोग लगाया गया। देव डांगरों के शरीर में अवतरित देवी देवताओं ने वायु रोग से पीड़ित लोगों को ठीक किया तथा चंवर गाय की पूछ से आशीर्वाद दिया। लोहाघाट, बाराकोट, बर्दाखान, फोर्ती, विशुंग, पाटन, कालाकोट, गल्लागांव आदि गांवों के अलावा चम्पावत व पिथौरागढ़ जनपद के दूर दराज से भी श्रद्धालु पहुंचे हुए थे।


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