दूर दृष्टि और विकास को गति देने वाला हो हमारा विधायक
मतदाता बोले दूर दृष्टि और विकास को गति देने वाला हो हमारा विधायक।
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : विधान सभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। दावेदार मैदान में कूद चुके हैं तो वोटरों ने भी दावेदारों को परखना शुरू कर दिया है कि उनके क्षेत्र का विधायक कैसा हो। इसको लेकर वोटरों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। वोटरों का कहना है कि पांच साल में लोकतंत्र का त्योहार आता है। उसका भली भांति चुनाव करना चाहिए। वोटरों का कहना था कि राज्य के हित में कार्य करने वाली हमारी सरकार हो तथा क्षेत्र की बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़कों व स्कूल, बेरोजगारों, गरीबों की समस्या का समाधान करने के साथ ही क्षेत्र के विकास में दूर दृष्टि रखने वाला हमारा विधायक होना चाहिए। ========= क्षेत्र के विकास कार्यों का आगे बढ़ाने के साथ ही लोगों की समस्याओं का समाधान करने वाला हमारा विधायक होना चाहिए।
- चंद्रशेखर गड़कोटी, ग्राम प्रधान रावलगांव ======= ईमानदार, पढ़ा लिखा और बेरोजगारों, गरीबों और क्षेत्र की समस्याओं का प्रमुखता से समाधान करने वाला विधायक होना चाहिए।
- नितिन बिष्ट, छात्र राजकीय पालीटेक्निक ========= हमारा विधायक राज्य के विकास के साथ क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं को समझकर उनका समाधान करने वाला हो। - सूरज सक्सेना, व्यापारी लोहाघाट ======== जो हमारी समस्याओं को विधान सभा में बेबाक तरीके से उठा सके। जनता के दुख दर्द को समझ सके। हमारे क्षेत्र के विकास की सोच रखता हो। ऐसे विधायक को ही हम चुनेंगे।
- प्रवीन कुमार, छात्र पालीटेक्निक लोहाघाट ====== डोर टू डोर प्रत्येक वोटर तक पहुंच पाना मुश्किल
संवाद सहयोगी, लोहाघाट : विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां अभी पूरी तरह रफ्तार नहीं पकड़ पा रहीं हैं। चुनाव आयोग द्वारा 22 जनवरी तक रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे फिलहाल प्रत्याशियों व संभावित उम्मीदवारों के पास मतदाताओं से सीधा संपर्क करने को डोर टू डोर प्रचार का ही विकल्प रह गया है। ऐसे में प्रतिबंधों की समय सीमा अगर और बढ़ाई जाती है तो प्रत्याशियों के लिए सभी मतदाताओं तक पहुंच बना पाना बेहद मुश्किल होगा। विधानसभा लोहाघाट में कुल मतदाता 107203 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 56074 हैं जब कि 51129 महिला मतदाता हैं। विधानसभा चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी से उनके द्वारा किए जा रहे प्रचार के संबंध में पूछने पर उनका कहना था कि अगर प्रशासन की ओर से प्रतिबंधों को और आगे बढ़ाया गया तो निश्चित तौर पर सभी मतदाताओं तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल होगा। हालांकि उनका कहना था कि वो बीते कई सालों से लगातार लोगों के बीच रहकर काम कर रहे हैं पर कुछ ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतरे हैं जो बीते पांच वर्षों में लोगों ने देखे ही नहीं। ज्यादा मुश्किल उन लोगों को होगी। वहीं अभी कुछ पार्टियों की ओर से प्रत्याशी घोषित किए ही नहीं किए गए हैं उन्हें और भी मुश्किल होगी।