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गिद्धों के संरक्षण के लिए वन टीम ने किया सर्वे

संवाद सहयोगी, टनकपुर : टनकपुर के वन विश्राम गृह में शारदा रेंज हल्द्वानी वन प्रभाग द्वारा केन्द्र

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 11:01 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:01 PM (IST)
गिद्धों के संरक्षण के लिए वन टीम ने किया सर्वे
गिद्धों के संरक्षण के लिए वन टीम ने किया सर्वे

संवाद सहयोगी, टनकपुर : टनकपुर के वन विश्राम गृह में शारदा रेंज हल्द्वानी वन प्रभाग द्वारा केन्द्र सरकार की वित्त पोषित योजना आईडीडब्लूएच के तहत गिद्ध संरक्षण चुनौतिया या निवारण संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पिछले लंबे समय से गिद्धों की संख्या में आ रही गिरावट पर चिंता जाहिर की गई। गिद्धों की संख्या में इजाफा के लिए चर्चा की गई। बाद में जीपीएस द्वारा स्मार्ट पैट्रोलिंग से संबंधित कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।

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कार्यशाला में रिसर्चर पश्चिमी वृत्त एजाज हुसैन ने बताया कि गिद्धों की निरन्तर हो रही कमी का मुख्य कारण लोगों द्वारा दुधारू जानवरों को अधिक दूध देने के लिए दिए जा रहे डायक्लोथीन इंजेक्शन बताया। उन्होंने बताया कि इस इंजेक्शन का इस्तेमाल होने पर मृतक दुधारू जानवरों को लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थान में फेंकने पर गिद्धों द्वारा उनका मांस खाने पर उनकी मौत हो रही है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इस इंजेक्शन का प्रयोग करने पर रोक लगाई गई है। इसके बाद भी चोरी से यह इंजेक्शन बिक रहे है। जिसके कारण गिद्धों की संख्या में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इस इंजेक्शन की ब्रिकी पर शक्ति से रोक होने पर भी गिद्धों की हो रही मौत को रोका जा सकता है। सहायक वन संरक्षक हल्द्वानी गोपाल सिंह कार्की, उप प्रभागीय वनाधिकारी राजेश श्रीवास्तव, वन क्षेत्राधिकारी हल्द्वानी भूपाल सिंह केडा, रिसर्चर पश्चिमी वृत्त एजाज हुसैन, जय प्रताप, राज शेखर, शारदा वन रेंज के रेंजर गोविन्द सिंह रजवार, अरूण कुमार सागर, नंदा बल्लभ कांडपाल, गिरीश चन्द्र, दान सिंह भाकुनी, निर्मल चंद खुल्बे आदि मौजूद रहे। इंसेट

पालतू जानवरों की मौत होने पर फेंका जाता है लावारिश

टनकपुर : अकसर ग्रामीण क्षेत्रों में पालतू जानवरों की मौत पर उन्हें जमीन में दफन के स्थान पर लावारिश फेंक दिया जाता है। जिसके कारण गिद्धों द्वारा इन मरे जानवरों का मांस खाया जाता है। पूर्व में पालतू व दुधारू जानवरों को इंजेक्शन व अन्य दवाईयों का प्रयोग कम किया जाता था। उस समय इन जानवरों के मरने पर गिद्धों द्वारा खाने के बाद भी वह सुरक्षित रहते थे। वही अब अधिक दूध की लालसा को लेकर लोगों द्वारा अब इन जानवरों को इंजेक्शन व अन्य दवाईयां दी जा रही है। वही इन जानवरों की मौत होने पर उन्हें लावारिश फेंक दिया जाता है। यही कारण है इनको खाने से लगातार गिद्धों की मौत हो रही है।


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