अधिकारी व कर्मचारियों स्कूलों में बच्चों का करेंगे ज्ञानवर्धन
विनय कुमार शर्मा, चम्पावत सरकारी स्कूलों की गिरती शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। बीते
विनय कुमार शर्मा, चम्पावत
सरकारी स्कूलों की गिरती शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। बीते दिनों अधिकारियों के स्कूलों में निरीक्षण में यह पोल फिर खुली। स्कूलों में शिक्षकों की कमी व गिरती शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए डीएम एसएन पांडे अब अनोखी पहल करने जा रहे हैं। अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो स्कूलों विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी बच्चों को पढ़ाते नजर आएंगे। इस बावत डीएम ने सभी विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों से उनके पसंदीदा विषयों की सूची मांगी है। जिसके बाद उन्हें तैनात किया जाएगा।
जनपद के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति बहुत ही दयनीय है। दर्जनों स्कूलों में शिक्षक नहीं है अगर कहीं शिक्षक हैं तो वह बच्चों पर ध्यान देने के बजाय अपनी राजनीति में जुटे रहते हैं। जो शिक्षक पढ़ाना चाहते हैं तो वहां का उच्च अधिकारी वर्ग शोषण करने से बाज नहीं आते। जिस कारण वह भी बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। बीते दिनों जनपद अधिकारियों ने अपने निरीक्षण के दौरान स्कूलों में शिक्षा का स्तर जाना तो वह देख अचंभित रह गए। शनिवार डीएम एसएन पांडे की अध्यक्षता में बैठक में जब अधिकारियों ने इस बात को रखा तो डीईओ माध्यमिक इस पर सफाई देने लगे। उन्होंने कहा कि अधिकारी को देख बच्चे डर जाते हैं। जिस कारण वह जवाब देने में हिचकते हैं। बच्चों में सेल्फ कॉफिडेंस की कमी है। इस पर डीएम ने कहा कि यह कमी बच्चों की नहीं बल्कि आप लोगों की है। बच्चों में सेल्फ कॉफिडेंस पैदा करें। स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्र में नियमित रूप से ब्लैक बोर्ड पर प्रत्येक बच्चों को आगे लाएं और उससे प्रश्न उत्तर लिखवाएं। इसके बाद डीएम पांडे ने कहा कि शिक्षकों की कमी को देखते हुए सभी विभागों में इंटर पास कर्मचारी को छोड़कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर्मचारी व अधिकारी अपने पसंदीदा विषय की सूची 17 अक्टूबर तक सीईओ को उपलब्ध कराएं। जिसके बाद शिक्षा विभाग से बात कर खाली पदों पर शिक्षकों की ड्यूटी तय की जा सके और वह बच्चों का ज्ञानवर्धन कर सकें। विषय कुछ, पढ़ा रहे कुछ, अधिकारी बना रहे दबाव
जनपद के कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों के विषयों में अधिकारियों की इच्छा से बदलाव किया जाता है। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में स्थानांतरण होने पर उसका विषय बदल जाता है। यह सब अधिकारियों की रजामंदी पर होता है। जिसमें बहुत बड़ा घपला होने की उम्मीद से भी इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में चहेतों शिक्षकों को छोड़कर अधिकारी अन्य विषय के शिक्षकों से जबरन उनके विषय के अनुरूप दूसरे विषय पढ़ाने के लिए मजबूर करते हैं। जिससे बच्चों के शिक्षा का स्तर गिरना लाजमी है। वर्जन-
स्कूलों में गिरते शिक्षा के स्तर को सुधारने व शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। सभी विभागों से शैक्षिक कार्य करने वाले कर्मचारी व अधिकारियों की सूची मांगी गई है। जो एक घंटा बच्चों की शिक्षा में लगाएंगे। = एसएन पांडेय, जिलाधिकारी, चम्पावत