फल-सब्जियों के दाम बढ़ने से त्योहारी सीजन में बिगड़ सकता है रसोई का बजट
पर्वतीय क्षेत्रों में फल व सब्जियों के बढ़ते दाम त्योहारी सीजन में लोगों के लिए दिक्कत पैदा कर सकते है।
चम्पावत, जेएनएन : फल व सब्जियों के बढ़ते दाम त्योहारी सीजन में लोगों के लिए दिक्कत पैदा कर सकते हैं। सब्जियों के दाम आसमान छूने से गृहणियों का बजट तो बिगाड़ ही दिया है मध्यम तबके के लोगों का स्वाद भी खराब कर दिया है।
पिछले एक माह से आलू, प्याज और टमाटर के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। त्योहारी सीजन आते-आते फलों के दाम भी बढ़ने लगे हैं। एक माह पूर्व टमाटर 30 रुपये किलो बिक रहा था जो अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक 60 रुपया किलो पहुंच गया है। प्याज और टमाटर भी गरीब और मध्यम वर्ग से काफी दूर हो गया है। फलों की बात करें तो कुछ के रेट पिछले माह की तुलना में आंशिक रूप से बढ़े हैं तो कुछ के रेट में कमी आई है। त्योहारी सीजन में फलों की डिमांड काफी अधिक रहती है ऐसे में सेब व केले के दाम अधिक होने से लोगों को जेब ढीली करनी पड़ेगी। सेब इस समय 100 रुपये किलो बेचा जा रहा है जबकि केला 50 रुपये दर्जन है। ======= चम्पावत में बिक रही सब्जियों के रेट, प्रति किलो
सब्जी एक माह पूर्व के रेट वर्तमान रेट
आलू 20 40
प्याज 20 50
टमाटर 30 60
करेला 40 40
भिंडी 30 35 से 40
पत्ता गोभी 30 40
शिमला मिर्च 40 50 ===== सब्जियों व फलों के महंगा होने से रसोई का बजट लगातार बिगड़ रहा है। खासकर आलू, प्याज और टमाटर जैसी महत्वपूर्ण सब्जियों के दाम अधिक होना गरीब तबके के लोगों को परेशान कर रहा है।
-दीपा पांडेय, गृहणी =========
सरकार व प्रशासन को महंगाई पर नियंत्रण रखना चाहिए। कोरोना काल में महंगाई बढ़ना जनता के हित में नहीं है। इससे गरीब परिवारों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।
-सुनीता गोस्वामी, गृहणी ======== फल मंहगे होने का असर लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा। नवरात्र में अधिकांश लोग फलाहार कर देवी की उपासना करते हैं। फलों के दाम बढ़ते रहे तो गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की पहुंच से दूर हो जाएंगे।
-पुष्पा चतुर्वेदी, गृहणी ======== मैदानी क्षेत्रों में इस बार बारिश और बाढ़ से सब्जी के दाम महंगे हुए हैं। पहाड़ में आते-आते सब्जी और अधिक महंगी हो जाती है। लोकल स्तर पर सब्जियों की पैदावार न होना भी मंहगाई का कारण है।
-गिरीश चंद्र, फल, सब्जी विक्रेता