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जिम कॉर्बेट के जीवन पर रिसर्च करने पहुंचे विदेशी सैलानी

संवाद सहयोगी, चम्पावत : उत्तराखंड के प्रत्येक जिले, प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ ऐसा है जो विदेश

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Apr 2018 05:42 PM (IST)Updated: Thu, 12 Apr 2018 05:42 PM (IST)
जिम कॉर्बेट के जीवन पर रिसर्च करने पहुंचे विदेशी सैलानी
जिम कॉर्बेट के जीवन पर रिसर्च करने पहुंचे विदेशी सैलानी

संवाद सहयोगी, चम्पावत : उत्तराखंड के प्रत्येक जिले, प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ ऐसा है जो विदेश सैलानियों को यहां खींचता है। जनपद चम्पावत भी उसमें से एक है, जहां पर्यटन और इतिहास से जुड़े अनेक विषयों पर बाहरी देश के लोग रिसर्च कार्य कर रहे हैं। यहां एक टीम जिम कॉर्बेट के जीवन पर रिसर्च करने के लिए आई है। इसके लिए टीम जिम कॉर्बेट के जीवन से जुड़े स्थानों पर जाकर लोगों से वार्ता कर जानकारी एकत्रित कर रही है।

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टूर आर्गेनाइजर कंपनी, वाइल्ड रिफ्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली द्वारा आई विदेशी सैलानियों की दो टीमें उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट के जीवन पर रिसर्च कर रही हैं। यह दोनों टीमें यहां 30 मार्च को पहुंची थीं। जनपद में अनेक क्षेत्रों जिम कॉर्बेट ने कई आदमखोर बाघों को मारकर लोगों को बचाया था। इसका उल्लेख उनकी किताब द मैनईटर इन कुमाऊं में किया है। टीम जिम कॉर्बेट के उन स्थानों पर जाकर रिसर्च कर रही है। जहां पर कॉर्बेट जंगलों में रहकर आदमखोर बाघों का शिकार करते थे। जानकारी एकत्रित करने के लिए टीम उस समय में पटवारी और तहसीलदार रहे लोगों के वंशजों से भी जानकारी ले रही है। टीम में यूएसए से पॉल एंड्रियू, ब्राजील से क्वेडो औलीवेजा, आस्ट्रेलिया से जोर्डानिया जोसफ व डॉ. वाल्टल, मॉरिसस से प्रीतम श्याम घीरव तथा उनकी दो बेटियां रेयाना व स्शिका यहां आए हैं। जिन्हें स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ गुजरात के प्रियवृत गांधवी गाइड कर रहे हैं तथा टूर ऑर्गेनाइजर कंपनी के कमलेश कुमार व जगदीश सिंह बिष्ट मदद कर रहे हैं। टीम ने एक अप्रैल को कालाआगर में तथा दो अप्रैल को चौगढ़ स्थान पर रिसर्च की। जिसके बाद तीन अप्रैल को चम्पावत पहुंच रिसर्च शुरू कर दी है। .................

बाखली में रुके थे कॉर्बेट

टीम ने चम्पावत में चूका, ठूलीगाढ़ आदि स्थानों पर रिसर्च किया। गुरुवार को अल्मोड़ा के सनोली गांव के चखेटी क्षेत्र में जिम कॉर्बेट के जीवन के बारे में जाना। जहां उन्हें पता चला कि उस समय में पुराने घर जिन्हें बाखली कहते थे, में कॉर्बेट रुके थे। जो कि अब खंडहर बन चुके हैं। टूर ऑर्गेनाइजर कंपनी के कमलेश ने बताया अब टीम लमगड़ा को जा रही है। जहां वर्ष 1910 में एक पुराने स्कूल में जिम कॉर्बेट रुके थे। जहां से तेंदुआ उनका खाना छीनकर ले गया था। वे देखने जा रहे हैं कि अब वह स्कूल है या नहीं साथ ही वहां के बुजुर्ग लोगों से वार्ता करेंगे।


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