स्थानीय माल्टा को छोड़ पंजाब के किनू की बढ़ी डिमांड, बेरुखी से चम्पावत के बागवान परेशान
पहाड़ों का माल्टा अपने रसीलेपन के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन बिक्री कम होने से बागवान परेशान है। इन दिनों माल्टा की जगह लोग पंजाब के किनू को ज्यादा पसंद कर रहे है।
लोहाघाट, गौरी शंकर पंत : पहाड़ों का माल्टा अपने रसीलेपन के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन बिक्री का उचित प्रबंध न होने के कारण बाजार में पंजाब के किनू ने धाक जमा ली है। सिर्फ लोहाघाट क्षेत्र में रोजाना करीब 200 किलो किनू की खपत हो रही है, जबकि माल्टा को खरीदार तक नहीं मिल रहे।
सुई, विशुंग, बाराकोट व पाटी नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में माल्टा का अच्छा खासा उत्पादन होता है। लेकिन सही दाम न मिल पाने के कारण माल्टा गावों से बाजार नहीं आ पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी फलों को स्टोरेज करने की सुविधा न होने से फल उत्पादक किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर रहा है। चम्पावत जिले में किनू 50 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। शहर के प्रमुख फल विक्रेता हेम जोशी और प्रकाश चंद्र ने बताया कि केवल लोहाघाट क्षेत्र में प्रतिदिन दो कुंतल किनू बिक रहा है जबकि माल्टा बाजार में पहुंच ही नहीं पा रहा। ऐसे में जो फल आ रहे हैं वह छोटे हैं। इस कारण ग्राहक उसे पसंद नहीं कर रहे।
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माल्टा की तरह ही होता है किनू
किनू माल्टा का हमशक्ल होता है। इसका स्वाद भी माल्टा की तहर ही खट्टा-मीठा होता है। लेकिन माल्टा की तरह अधिक रसीला नहीं होता। किनू का छिलका माल्टा से अधिक मोटा होता है और इसे छिलने में आसानी रहती है।
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समर्थन मूल्य कम होने से माल्टा प्रभावित
उद्यान विभाग ने माल्टा का समर्थन मूल्य आठ रुपये प्रति किलो तय किया है। अधिकतर फल उत्पादक किसान काफी दूर से ज्यादा भाड़ा देकर माल्टा बाजार लाते हैं। समर्थन मूल्य कम होने और गांवों से सीधे माल को मंडी तक पहुंचाने के कोई इंतजाम न होने से माल्टा बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा है। सुई निवासी जानकी देवी, पार्वती देवी कीर्ति बल्लभ, दयाकिशन का कहना है सरकार को सिट्रस फलों के स्टोरेज की व्यवस्था के साथ उन्हें मंडी तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
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माल्टा में औषधि गुणों की भरमार
माल्टा का रस ही नहीं बल्कि छिलका भी कारगर है। माल्टा के सेवन से जहा त्वचा चमकदार रहती है वहीं दिल भी स्वस्थ रहता है। माल्टा के सेवन से गुर्दे की पथरी दूर होती है। इस कारण चिकित्सक पथरी के रोगियों को माल्टा का जूस पीने के सलाह देते हैं। भूख बढ़ाने, खासी-जुकाम में भी यह कारगर होता है। माल्टा के छिलके से स्तन कैंसर के घाव ठीक होते हैं। छिलके से तैयार पाउडर का प्रयोग करने से त्वचा में निखार आता है।
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वर्जन
जिले में माल्टा बड़े पैमाने पर पैदा होता है। लेकिन उतनी पैदावार अब भी नहीं है कि इसके लिए कोल्ड स्टोर की व्यवस्था की जा सके। कई स्थानों पर जंगली जानवरों के आतंक से फल उत्पादन प्रभावित हुआ है। फिर भी मौसमी फलों को उचित मूल्य दिलाने और फल उत्पादक किसानों की सहायता के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
-एनके आर्या, जिला उद्यान अधिकारी, चम्पावत