बडोली बूथ में मतदान प्रतिशत बढ़ाना प्रशासन के लिए चुनौती
संवाद सहयोगी चम्पावत आगामी 11 अप्रैल को होने वाले लोक सभा चुनाव में बडोली बूथ पर मतदान प्र
संवाद सहयोगी, चम्पावत : आगामी 11 अप्रैल को होने वाले लोक सभा चुनाव में बडोली बूथ पर मतदान प्रतिशत बढ़ाना प्रशासन के लिए इस बार भी बड़ी चुनौती है। पिछली बार 2014 के लोक सभा चुनाव में सड़क न बनने के कारण बडोली बूथ से सबसे कम 1.17 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं इस बार भी सड़क को लेकर उपजे विवाद से हालात कुछ ऐसे ही हैं।
पिछले लोक सभा चुनाव में बडोली गांव में सड़क निर्माण मतदान बहिष्कार का कारण था। सड़क न बनने के कारण ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त था। जिस कारण बडोली बूथ पर 513 मतदाताओं में से छह पुरुष मतदाताओं ने ही मतदान किया। इस बार बडोली बूथ पर मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। यह कहना मुश्किल लग रहा है। पिछले लोक सभा चुनाव की ही तरह इस बार भी मुद्दा सड़क निर्माण का ही है, लेकिन मामला दो गांवों के बीच सड़क निर्माण के विवाद का है। धौन मार्ग से बडोली तक मोटर मार्ग निर्माण के लिए जब पीएमजीएसवाई ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की तो इसी क्षेत्र के मझेड़ा के ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के कारण उनके एक मात्र जल स्रोत के नष्ट होने का हवाला देते हुए दोबारा से सड़क का सर्वे कराने की मांग करते हुए कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। जिसके बाद बडोली के ग्रामीणों ने इसी सर्वे के आधार पर सड़क निर्माण की मांग की कर उन्होंने भी कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। जिससे प्रशासन के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। इस विवाद के चलते ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार का एलान भी कर दिया था, लेकिन बाद में प्रशासन के आग्रह पर ग्रामीणों ने मतदान करने पर सहमति जताई लेकिन अपनी मांग पर अभी भी डटे हुए हैं। ऐसे में अब देखना यह है कि इस विवाद के बीच बडोली बूथ पर कितने प्रतिशत मतदान होता है। ======= रूइया, कफल्टा के ग्रामीणों को भी प्रशासन कर रहा प्रेरित
चम्पावत : सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्राम रूइया, मल्ला कफल्टा व तल्ला कफल्टा के ग्रामीणों ने भी मतदान बहिष्कार का एलान किया था। प्रशासन ग्रामीणों को मनाने में जुटा हुआ है। इसके लिए लगातार स्वीप कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वहीं डीएम रणवीर सिंह चौहान ने कहा कि रूइया कफल्टा सड़क के लिए प्रशासन द्वारा पूरी कार्यवाही कर शासन को भेज दी गई है। अब मामला वनभूमि का फंस गया है। जिसकी स्वीकृति के लिए शासन व वन विभाग को पत्र लिखा गया है।