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राइकोट कुंवर के अमित कुमार ने दी लोहे के बर्तनों और पहाड़ी उत्पादों को नई पहचान

राइकोट कुंवर के अमित कुमार लोहे के बर्तनों के साथ स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को नई पहचान दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 09:30 AM (IST)
राइकोट कुंवर के अमित कुमार ने दी लोहे के बर्तनों और पहाड़ी उत्पादों को नई पहचान
राइकोट कुंवर के अमित कुमार ने दी लोहे के बर्तनों और पहाड़ी उत्पादों को नई पहचान

लोहाघाट, जेएनएन : राइकोट कुंवर के अमित कुमार लोहे के बर्तनों के साथ स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को नई पहचान दिलाई है। दिल्ली के प्रगति मैदान और देहरादून में लगने वाले मेलों में वे अपने हाथ से तैयार लोहे के बर्तनों की प्रदर्शनी लगाने के साथ मडुवा, गहत, सोयाबीन, राजमा आदि उत्पादों का स्टाल लगाते हैं। अमित कई स्वयं सहायता समूहों एवं बेरोजगारों का मार्गदर्शन कर उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में सहायता भी कर रहे हैं। अमित ने बताया बचपन से मन में ठान ली थी की पुश्तैनी धंधे का पहचान दिलाने की इंटर तक कि पढ़ाई करने के बाद मुकाम पर जुट गए। ========= लौह नगरी के नाम से जाना जाता था लोहाघाट

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लोहाघाट: लौह नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले लोहाघाट नगर में कभी लोहे की खान तो नहीं रही, लेकिन लोहे के बर्तन बनाने वाले यहा के कारीगरों की पहचान हमेशा रही। 70 के दशक तक यहा तैयार लोहे के बर्तन और कृषि यंत्र पूरे जिले में पहुंचते थे। समय बीतने के साथ यह कारीगरी हासिए पर चली गई। इस सबके बीच ग्राम्य विकास विभाग लोहे के कारीगरों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है। लोहाघाट गैस गोदाम के समीप विभाग ने ग्रोथ सेंटर की स्थापना कर लोहे के बर्तनों का उत्पादन शुरू कर दिया है। ========== 10 से 20 मिनट में तैयार हो रही कढ़ाई

लोहाघाट : ग्रोथ सेंटर में लोहे के बर्तन तैयार करने में समय और श्रम की काफी बचत हो रही है। धौकनी में लोहा गर्म कर उसे पीटने और आकार देने में चार से पाच घटे का समय लगता था। अमित ने बताया कि लोहे की एक कढ़ाई तैयार करने में सिर्फ 10 से 20 मिनट का समय लग रहा है। चम्पावत जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कारीगर अपने घरों में लोहे के वर्तन और कृषि यंत्र तैयार करते हैं और उन्हें गाव गाव जाकर बेचते हैं। घर में डिमाड के आधार पर ही बर्तन तैयार होते हैं लेकिन ग्रोथ सेंटर में बड़ी संख्या में इनका निर्माण हो रहा है । सेंटर में लोहे की कढ़ाई, तवा, करछी, बड़ी चम्मच, फ्राईपैन आदि के साथ दराती, कुदाल, कुल्हाड़ी, गेंती, सब्बल सभी प्रकार के कृषि यंत्र आदि बनाने का काम शुरू हो गया है। मेला प्रदर्शनी के अलाव आनलाइन भी बेचा रहा रहा है।

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लोहाघाट में बने ग्रोथ सेंटर ने काम करना शुरू कर दिया है ग्रोथ सेंटर में तैयार लोहे के बर्तन और छोटे कृषि उपकरणों को उद्यान और कृषि विभाग के स्टालों में बिक्री के लिए रखा जाएगा। केंद्र में 22 लाख रुपए की छोटी बड़ी प्रेशर मशीन लगाई गई है। यहा लोहे के बर्तन और छोटे कृषि यंत्र तैयार किए जा रहे हैं। इससे लोहे के कारीगरों को मंच मिलने के साथ उनकी आजीविका के साधन भी उपलब्ध होंगे।

- विम्मी जोशी, सहायक परियोजना अधिकारी, चम्पावत


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