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लोहाघाट की आधी आबादी की प्यास बुझा रहा अक्कल धारा

लोहाघाट में पेयजल संकट के बीच नगर वासियों के लिए अक्कल धारा प्यास बुझाने का सशक्त माध्यम बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 11:23 PM (IST)
लोहाघाट की आधी आबादी की प्यास बुझा रहा अक्कल धारा
लोहाघाट की आधी आबादी की प्यास बुझा रहा अक्कल धारा

संस, लोहाघाट : पेयजल संकट के बीच नगर वासियों के लिए अक्कल धारा प्यास बुझाने का सशक्त माध्यम बना हुआ है। अक्कल धारे के पास स्थित नर्सरी धारे के पानी पर नगर की आधी आबादी निर्भर है। धारे में सुबह से देर रात तक लोग पानी भरने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। नगर में जल संस्थान द्वारा प्रत्येक तीसरे से चौथे दिन पानी की सप्लाई की जा रही है। बारिश न होने से इन दिनों पेयजल स्रोत सूख रहे हैं। इसका असर अक्कल धारे पर भी पड़ा है। लेकिन पानी कम होने के बाद भी धारा लोगों को पानी उपलब्ध करा रहा है। पानी कम होने से सुबह से लेकर शाम तक लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। नगर निवासी प्रकाश चंद्र, महेश चंद्र, महेश सुतेड़ी, हरीश पंत, दीपकचंद्र, नरेश तिवारी आदि ने बताया कि नगर के लिए बनी पेयजल योजनाओं से काफी कम पानी मिल रहा है, जिससे घर की साफ सफाई भी नहीं हो पाती है। बताया कि साफ और शुद्ध होने के कारण वह अक्कल धारे और नर्सरी धारे का पानी पीने के काम में लाते हैं।

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गड्ढे खोदकर जल संरक्षण करेंगे पौण गांव के युवा

पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय से सटे गपौण गांव के युवा खाली पड़ी भूमि पर गड्ढे खोदकर जल संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाएंगे। युवाओं ने वर्षाकाल से पूर्व गांव में गड्ढे बनाने का निर्णय लिया है, इससे वर्षा जल का संरक्षण होगा।

जिला मुख्यालय के आसपास के गांवों में प्राकृतिक जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं। गांव की पेयजल जरू रत को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्राकृतिक स्रोतों का दायरा सिकुड़ने से गांवों में पेयजल संकट गहरा रहा है। ग्रामीणों को स्रोतों को बचाने के लिए जागरू क करने के उद्देश्य से मुहिम चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता डा. पीताबर अवस्थी मंगलवार को पौण गांव में पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि कई गांवों में जल स्रोत सूख चुके हैं। स्रोतों के आसपास निर्माण कार्य करने और पेड़ों को काट देने से यह समस्या गंभीर हुई है। उन्होंने कहा कि आज जल नहीं बचाया गया तो आने वाली पीढि़यों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। नल संस्कृति से दूर रहकर ही प्राकृतिक जल स्रोतों की धरोहर को बचाया जा सकता है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका युवाओं की होगी। गांव के युवाओं ने जल संरक्षण की शपथ ली। कार्यक्रम में प्रधानाध्यापिका मीरा बोहरा, मनोज कुमार, राधा टम्टा, अभिषेक, रोहित, सिमरन, सुमन, सरिता, वर्षा, प्रमोद, आयुष, हिमांशी, दिव्यांशु, पूजा, नेहा आदि मौजूद थे।


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