इतिहास बनता जा रहा 'संग्राम' का नौला
जागरण संवाददाता, चम्पावत: अपनी वीरता के लिए विख्यात चंद राजाओं के सेनापति रहे संग्राम सिंह कार्की
जागरण संवाददाता, चम्पावत: अपनी वीरता के लिए विख्यात चंद राजाओं के सेनापति रहे संग्राम सिंह कार्की का नौला आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है। उपेक्षा के चलते नौला वर्षो पहले सूख गया था। अब वह जर्जर हो गया है। ऊपर झाड़ियां उग आई हैं। नौले के जीर्णोद्धार को जल्द पहल नहीं हुई तो इतिहास की एक निशानी दफन हो जाएगी।
जिला मुख्यालय से सटे खर्ककार्की गांव को पहले करक्यूड़ा के नाम से जाना जाता था। यहां के निवासी संग्राम सिंह कार्की चंद राजाओं के सेनापति हुआ करते थे। उनकी वीरता के किस्से दूर दूर तक विख्यात थे। घर के समीप ही उनका नौला था। पत्थरों पर नक्काशी कर नौले को बेहद सुंदर बनाया गया था। कार्की उसी नौले के पानी का उपयोग करते थे। इस वजह से उसका नाम उनके नाम से संग्राम सिंह कार्की का नौला पड़ गया। बाद में उनकी कई पीढि़यों ने नौले के पानी का उपयोग किया। नलों का पानी घरों तक पहुंचा तक पहुंचा तो लोगों ने नौलों को बिसरा दिया। बुजुर्ग बताते हैं कि उपेक्षा के चलते धीरे धीरे नौला सूख गया। वर्तमान में उसकी हालत बेहद ही खराब हो गई है। नौले की छत पर झाड़ियां उग आई हैं। नौले की दीवारों में लगे पत्थर भी अपनी जगह से खिसकने लगे हैं। वर्तमान में खर्ककार्की गांव का आधा हिस्सा नगरपालिका क्षेत्र में आ गया है। इसी के साथ नौला भी पालिका की परिधि में आता है। बावजूद इसके पालिका की ओर से उसके जीर्णोद्धार के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गई है।
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फोटो : 3 सीएमटीपी 7- धर्मानंद सक्टा।
नौलों के संरक्षण के प्रति शासन प्रशासन ही नहीं लोगों को भी गंभीर रहना चाहिए। नौलों का क्या महत्व होता है, इस बार प्रकृति ने एहसास करा दिया है। प्रकृति प्रदत्त चीजों के प्रति लोगों की उपेक्षा बढ़ रही है, जो ठीक नहीं। इसके लिए लोगों को चिंतन करने के साथ गंभीर होना होगा।
- धर्मानंद सक्टा, स्थानीय निवासी
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फोटो : 3सीएमटीपी 8- डा.कीर्तिबल्लभ सक्टा।
किसी जमाने में नौलों के बगैर मनुष्य जीवन की कल्पना करना संभव नहीं होगा, लेकिन आज आधुनिक युग में नौलों को बिसरा दिया गया है। नौलों क ेजल स्त्रोत प्रकृति की मनुष्य को दी गई बेहतरीन नेमत है। लोगों को इनका महत्व समझना चाहिए। आधुनिकता के साथ परंपराओं का भी ध्यान रखना होगा। संग्राम सिंह कार्की के नौले जैसे अन्य नौलों का संरक्षण किया जाए, तो आने वाली पीढ़ी उनके ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक महत्व की जानकारी दी जा सकेगी। अन्यथा आने वाली पीढ़ी नौला क्या होता है, इसके बारे में भी केवल किताबों में पढ़ पाएगी।
- डा.कीर्तिबल्लभ सक्टा, शिक्षाविद
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फोटो : 3सीएमटीपी 9- सुंदर सिंह कार्की।
शासन प्रशासन को चाहिए कि वे ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करें, चाहे वह नौले ही क्यों न हों। कभी नौले पेयजल के प्रमुख स्त्रोत हुआ करते थे। इसलिए उन्हें मंदिर जैसा महत्व दिया जाता था, लेकिन आज नौले भुला दिए गए हैं। इस बार करीब दस महीनों से बारिश नहीं हुई तो लोगों को नौलों के महत्व का अहसास हुआ। नौलों के संरक्षण के प्रति सभी को गंभीर होना होगा, अन्यथा आने वाले वक्त में वर्तमान से भी गंभीर स्थिति का सामना करना हो सकता है।
- सुंदर सिंह कार्की, स्थानीय निवासी