डोली से 103 वर्षीय बुजुर्ग को पहुंचाया अस्पताल
संवाद सहयोगी, चम्पावत : सीमांत के विकास के लिए प्रतिवर्ष सरकार बीएडीपी योजना के तहत करोड़ों
संवाद सहयोगी, चम्पावत : सीमांत के विकास के लिए प्रतिवर्ष सरकार बीएडीपी योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर रही है मगर विकास के नाम पर वहां धेला खर्च नहीं होता। यही वजह है कि तल्लादेश के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। आज भी लोगों को सड़क के अभाव में मीलों का सफर पैदल करना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण बुधवार को देखने को मिला। जहां तल्लादेश के गांव सौराई में एक बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब होने पर ग्रामीण मरीज को डोली पर लादकर पैदल 15 किमी का सफर तय कर मुख्य मार्ग तक लाए। जहां 108 की सुविधा न मिलने पर निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया।
सीमांत गांव सौराई निवासी 103 वर्षीय बुजुर्ग राम सिंह पुत्र फकीर सिंह का स्वास्थ्य खराब होने पर पूर्व ग्राम प्रधान दान सिंह बोहरा सहित सात ग्रामीणों ने बुजुर्ग को जिला चिकित्सालय पहुंचाया। जिसमें उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। पूर्व प्रधान बोहरा ने बताया बुजुर्ग घर में अपनी दिव्यांग पुत्री गंगी देवी के साथ रहते हैं। दो-तीन दिन से बुजुर्ग का स्वास्थ्य खराब था। बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए ग्रामीण विनोद सिंह, पुष्कर सिंह, तेहर सिंह, लक्ष्मण सिंह, बच्ची सिंह व नारायण सिंह बुजुर्ग को डोली में बैठाकर 15 किमी पैदल रास्ते से मंच तक लाए। जिसके बाद 108 पर कॉल किया गया लेकिन वाहन खराब होना बता दिया गया। बाद में निजी वाहन से एक हजार रुपये खर्च कर बुजुर्ग को जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें भर्ती कर इलाज शुरू किया।
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आठ घंटे में पहुंचे जिला चिकित्सालय
पूर्व ग्राम प्रधान दान सिंह बोहरा ने बताया बुजुर्ग को चिकित्सालय ले जाने के लिए ग्रामीणों को एकत्रित कर सुबह सात बजे रास्ता लग गए थे। 15 किमी डोली में पैदल रास्ते करीब डेढ़ बजे मंच पहुंचे। वहां से निजी वाहन से तीन बजे जिला चिकित्सालय पहुंचे हैं। ऐसे में गंभीर मरीज तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
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पेंशन से चलता है गुजारा
103 वर्षीय बुजुर्ग की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। परिवार में बुजुर्ग व उनकी दिव्यांग पुत्री अपना गुजारा पेंशन से करते हैं। बुजुर्ग को वृद्धा पेंशन व पुत्री को दिव्यांग पेशन मिलती है। वह भी समय पर नहीं आ पाती है।
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गांव में लगे स्वास्थ्य कार्ड शिविर
अभी तक गांव में दो चार लोग ही हैं। जिन्होंने आयुष्मान योजना के तहत बन रहे गोल्डन कार्ड बनवाए हैं। पूर्व प्रधान बोहरा का कहना है गांव में ही गोल्डन कार्ड बनाने के लिए कैंप लगना चाहिए या फिर मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की तरह सुविधा की जानी चाहिए जिसमें परिवार के मुखिया का कार्ड बनने पर पूरे परिवार को लाभ मिले।
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गांव में रह गए हैं सिर्फ वृद्ध लोग
किसी समय में सौराई ग्राम सभा में दो सौ से अधिक परिवार निवास करते थे। गांव में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लगातार पलायन हो रहा है। आज पलायन के चलते करीब 100 परिवार ही रह गए हैं। जिसमें अधिकांश परिवारों में केवल बूढ़े लोग शामिल हैं। उनके परिवारों के युवा रोजगार के लिए मैदानी क्षेत्रों को निकल गए हैं।