बर्ड वाचिग प्रशिक्षण से मिलेगा रोजगार
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग व सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र मिलकर जिले के केदारनाथ कस्तूरा मृग अभ्यारण्य के आसपास के गांवों के पंछी प्रेमी युवाओं के लिए बर्ड वाचिंग का चार दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हो गया है।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग व सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र मिलकर जिले के केदारनाथ कस्तूरा मृग अभ्यारण्य के आसपास के गांवों के पंछी प्रेमी युवाओं के लिए बर्ड वाचिंग का चार दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हो गया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा जिले के पर्यटन स्थलों में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को जिले में पाई जाने वाली पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों की जानकारी देकर उन्हें यहां के पर्यटन स्थलों की ओर आने के लिए प्रेरित करेंगे। प्रशिक्षण में 40 से अधिक युवा भाग ले रहे हैं।
खल्ला गांव के आर्किड पार्क में प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत नगर पालिका अध्यक्ष सुरेंद्र लाल ने की। इस दौरान केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ डॉ. अमित कंवर ने कहा कि जंगलों में पशु पक्षियों से संबंधित सबसे अधिक जानकारी आसपास रहने वाले ग्रामीणों को रहती है। लिहाजा पक्षी प्रेमी युवाओं को अधिक जानकारी उपलब्ध कराकर उन्हें प्रशिक्षित गाइड बनाना कार्यक्रम का लक्ष्य भी है। सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओमप्रकाश भट्ट ने कहा कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य युवाओं को पशु पक्षियों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बनाकर पर्यावरण संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि इसे युवा आजीविका का साधन भी बना सकते हैं। इस अवसर पर डीएफओ बदरीनाथ आशुतोष, डीएफओ अलकनंदा वन प्रभाग सर्वेश कुमार दुबे, रेंज अधिकारी आरती मैठाणी, प्रशिक्षक यशपाल सिंह नेगी सहित कई ने विचार व्यक्त किए।
दुर्लभ वन्यजीवों से भरा है यह क्षेत्र
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग उत्तराखंड का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र है। यह 975.2 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। केदारनाथ सेंचुरी एरिया में दुर्लभ वन्यजीवों के साथ ही विभिन्न प्रजाति के 49 पक्षी पाए जाते हैं। चोपता व कांचुलाखर्च में ग्रीफन वल्चर गिद्द भी पाया जाता है, जो वर्तमान में विलुप्तप्राय पक्षियों की प्रजाति में से एक है। यहां राज्य पक्षी मोनाल, चीड़ फिजेंट, खलिज फिजेंट, कोकलॉस सहित पक्षियों की कई प्रजातियां विचरण करती रहती हैं।
गाइड का काम करते हैं युवा
चमोली जिले के मंडल घाटी व रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ क्षेत्र के युवा साहसिक पर्यटकों व ट्रेकरों के साथ गाइड का काम करते हैं। वे पर्यटकों को यहां के धार्मिक, पर्यटन, जलवायु, वन्यजीवों व पेड़-पौधों के बारे में बताते हैं।