आंदोलनकारियों ने ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेजा पत्र
संवाद सूत्र, जोशीमठ: मारवाड़ी बाईपास के विरोध में आंदोलन कर रहे जोशीमठ के ग्रामीणों
संवाद सूत्र, जोशीमठ: मारवाड़ी बाईपास के विरोध में आंदोलन कर रहे जोशीमठ के ग्रामीणों ने राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण को पत्र भेजकर पावर प्रोजेक्टों से हो रहे खतरे पर कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि जोशीमठ के लोग पिछले 22 दिन से मारवाड़ी बाईपास सड़क के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। तहसील परिसर में धरना दे रहे ग्रामीणों ने राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण को पत्र भेजा है। उनका कहना है कि वर्ष 1976 में महेश मिश्रा की रिपोर्ट में कहा है कि जोशीमठ शहर रेत की टीले पर बसा शहर है। शहर के नीचे किसी भी प्रकार के निर्माण से खतरा हो सकता है। इसके नीचे किसी भी निर्माण कार्य से भूस्खलन का खतरा होगा। साथ ही नदी के पास से सड़क ले जाना एनजीटी के नियमों का खुला उल्लंघन है। यहां के जंगलों में दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतुओं का प्राकृतिकवास है। पहले ही यहां जेपी व एनटीपीसी की परियोजनाओं से नगर को खतरा बना है। अब नदी के किनारे मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कर शहर को और खतरे में डाला जा रहा है। बताया कि नदी के किनारे एनजीटी के नियमों के विपरीत बाईपास का निर्माण किया जा रहा है। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
दूसरी ओर उक्रांद ने भी बैठक के मारवाड़ी बाईपास का विरोध किया है। कहा कि इससे धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक महत्व का शहर का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा इससे जोशीमठ शहर यात्रा से कट जाएगा। इससे हजारों लोग बेरोजगार होने के साथ नीती बॉर्डर से द्वितीय रक्षा पंक्ति के लोगों का पलायन होगा। उन्होंने कहा कि ऑलवेदर रोड जोशीमठ होकर जाना चाहिए। कहा कि मामले में जल्द एक शिष्टमंडल केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलेंगे। इस अवसर पर जयप्रकाश भट्ट, राकेश सती, विश्वंबर कवाण, अरुण लाल शाह सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।