देश के अंतिम गांव के पास वसुधारा जल प्रपात के सम्मोहन में खिंचे जा रहे यात्री
देश के अंतिम गांव माणा से पांच किमी दूर समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर एक अद्भुत जल प्रपात वसुधारा यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं।
गोपेश्वर, जेएनएन। चमोली जिले में बदरीनाथ धाम से आठ और देश के अंतिम गांव माणा से पांच किमी दूर समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर एक अद्भुत जल प्रपात (झरना) है। जिसे शास्त्रों में वसुधारा नाम से जाना जाता है। 400 फीट की ऊंचाई से गिर रहे इस झरने की खूबसूरती सम्मोहित करने वाली है। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे पहाड़ी से फेन उठ रहा हो। इतनी ऊंचाई पर वायु और जल के मिश्रण से उत्पन्न संगीत हृदय के तारों को झंकृत कर देता है। यही वजह है कि भगवान बदरी विशाल के दर्शनों को आने वाले अधिकांश यात्री व पर्यटक वसुधारा जाना नहीं भूलते। इन दिनों भी ऐसा ही नजारा है।
मान्यता है कि राजपाट से विरक्त होकर पांडव द्रोपदी के साथ इसी रास्ते से होते हुए स्वर्ग गए थे। कहते हैं कि वसुधारा में ही सहदेव ने अपने प्राण और अर्जुन ने अपना धनुष गांडीव त्यागा था। वसुधारा के लिए फुट ट्रेक माणा गांव से शुरू होता है। सरस्वती मंदिर से गुजरने के बाद ट्रेक कठिन हो जाता है। क्योंकि, यहां जमीन बहुत ही कठोर है, इसलिए माणा से वसुधारा तक की ट्रेकिंग में दो घंटे लग जाते हैं। मार्ग पर भोजन और पानी की भी कोई सुविधा नहीं है।
वसुधारा के बारे में कहावत है कि इसके शीर्ष को देखते हुए व्यक्ति की टोपी गिर जाती है। यह झरना इतना ऊंचा है कि पर्वत के मूल से शिखर तक पूरा झरना एक नजर में नहीं देखा जा सकता। यहां आकर ऐसी अनुभूति होने लगती है, मानो यह धरती का हिस्सा न हो। इसीलिए पांच किमी की पैदल दूरी तय करने के बाद यहां पहुंचते ही पर्यटक अपनी थकान भूल जाते हैं। श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के अनुसार स्कंद पुराण के वैष्णवखंड बद्रिकाश्रम माहात्म्य में इस जल प्रपात की महत्ता बताई गई है। कहा गया है कि इस जल प्रपात का छींटा भी पड़ने से मनुष्य के समस्त विकार मिट जाते हैं। इसलिए काफी संख्या में यात्री वसुधारा जाने का प्रयास करते हैं।
मई से नवंबर तक है यात्रा का समय
बदरीनाथ यात्रा काल में मई से नवंबर तक वसुधारा की यात्रा की जा सकती है। इसके लिए बदरीनाथ से माणा गांव तक वाहन सुविधा उपलब्ध है। इसके बाद पांच किमी की दूरी पैदल तय कर वसुधारा पहुंचा जाता है। लेकिन, यहां जाने के लिए यात्री या पर्यटक का पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है।
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