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Uttrakhand Budget Session 2020: व्यवस्था के प्रश्न पर पीठ ने सुरक्षित रखा विनिश्चय

कांग्रेस ने सदन में व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि अभिभाषण और बजट पर चर्चा के लिए जो समय तय किया गया है उसमें कार्य संचालन नियमावली की अनदेखी की गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 09:48 AM (IST)
Uttrakhand Budget Session 2020: व्यवस्था के प्रश्न पर पीठ ने सुरक्षित रखा विनिश्चय
Uttrakhand Budget Session 2020: व्यवस्था के प्रश्न पर पीठ ने सुरक्षित रखा विनिश्चय

गैरसैंण, राज्य ब्यूरो। विधानसभा के बजट सत्र की कम अविध को लेकर कांग्रेस ने सदन में व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण और बजट पर चर्चा के लिए जो समय तय किया गया है, उसमें कार्य संचालन नियमावली की अनदेखी की गई है। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि नियमावली के तहत बजट पर चर्चा के लिए कम से कम 15 दिन की अविध होनी चाहिए। उन्होंने वेल में आकर हंगामा भी किया। हालांकि, सरकार ने कहा कि विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली और परंपराओं के आधार पर सदन चलता है। कार्यमंत्रणा समिति से बिजनेस तय होने के बाद इस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। वहीं, पीठ ने इस मामले में अध्ययन की बात कहते हुए अपना विनिश्चय सुरिक्षित रखा है।

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मंगलवार को सत्र की कार्यवाही की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के राज्यपाल के अभिभाषण का वाचन पूरा करते ही कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि एजेंडे में फिलहाल तीन दिन का बिजनेस दिया गया है। इसमें बुधवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा और फिर वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया जाना है।

उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि बजट बेहद महत्वपूर्ण होता है और इस पर नियमानुसार चर्चा को 15 दिन का समय होना चाहिए। बावजूद इसके, सरकार जल्दबाजी में बजट पारित करना चाहती है। इसी प्रकार अभिभाषण पर भी चर्चा को कम से कम चार दिन का वक्त होना चाहिए। उन्होंने इस मामले में पीठ से संरक्षण मांगा। इसके बाद सभी कांग्रेस विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे। नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि बजट सत्र की इतनी कम अवधि नि‍ंदनीय है।

संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि संभवतया विपक्ष ने एजेंडे को ठीक से पढ़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन कार्यसंचालन नियमावली और परंपराओं के आधार पर चलता है। कार्यमंत्रणा समिति ने जो बिजनेस तय किया है, उस पर मुहर लगी है। उन्होंने कहा कि दो पत्रक होते हैं। एक में पूरे सत्र का बिजनेस होता है, जो संभावनाओं पर आधारित होता है। दूसरा विषय सामान्य स्तर पर कार्य संचालन नियमावली व परंपरा के तहत होता है।

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उन्होंने विपक्ष की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि काग्रेस बताए कि 10 साल के शासनकाल में उसने कितनी बार बजट सत्र 19 दिन चलाया। संसदीय कार्यमंत्री के वक्तव्य पर विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष का कहना था कि पूर्व में यदि गलतियां हुई हैं तो उन्हें क्यों दोहराया जा रहा है। पीठ ने इस मामले का अध्ययन करने की बात कहते हुए विनिश्चय सुरिक्षत रखा। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार सुबह कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें इस मसले पर भी विचार होने की संभावना है।

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