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उद्धवजी और कुबेरजी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर हो गए विराजमान

शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर विराजमान हो गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 12:39 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 12:39 PM (IST)
उद्धवजी और कुबेरजी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर हो गए विराजमान
उद्धवजी और कुबेरजी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर हो गए विराजमान

चमोली, जेएनएन। शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर विराजमान हो गए। उद्धवजी योग-ध्यान बदरी मंदिर और कुबेरजी अपने मंदिर में विराजमान हुए। जबकि, आद्य शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचेगी। 

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सोमवार को पूजा-अर्चना के बाद उद्धवजी, कुबेरजी और शंकराचार्य गद्दी बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल की अगुआई में पांडुकेश्वर पहुंची। यहां स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही यात्रियों ने पुष्प वर्षा कर देव प्रतीकों का स्वागत किया।

पूजा-अर्चना के बाद कुबेरजी की मूर्ति को कुबेर मंदिर और उद्धवजी की मूर्ति को योग-ध्यान बदरी मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठापित किया गया। अब छह माह तक उनकी शीतकालीन पूजाएं यहीं संपन्न होंगी। आद्य शंकराचार्य की गद्दी मंगलवार सुबह पूजा-अर्चना के बाद जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। यहीं छह माह गद्दी की पूजा होती है। 


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