सैर-सपाटे के साथ खेतों में हल भी चला रहे पर्यटक
चमोली जिले के दूरस्थ गांव ईराणी में युवाओं की पहल पर तैयार किए गए विलेज टूरिज्म का आनंद उठाने देशभर से पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले के दूरस्थ गांव ईराणी में युवाओं की पहल पर तैयार किए गए 'विलेज टूरिज्म' का आनंद उठाने देशभर से पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। वो यहां पहाड़ी परंपराओं से तो वाकिफ हो ही रहे हैं, यहां की रीति-रिवाजों का अनुसरण भी कर रहे हैं। इससे 160 परिवारों की 1500 की आबादी वाला ईराणी गांव विलेज टूरिज्म का केंद्र बनता जा रहा है।
ईराणी गांव में प्रधान मोहन सिंह नेगी समेत अन्य युवाओं ने गांव के पास ही टेंट कालोनी बनाकर विलेज टूरिज्म की शुरूआत की है। इस उद्यम से गांव के सात युवा जुड़े हुए हैं। उन्होंने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 'दुर्मीताल डॉट कॉम' नाम से वेबसाइट तैयार कर उसमें यहा के प्राकृतिक नजारों को अपलोड किया है। इसका फायदा यह हुआ कि इन युवाओं को देशभर से पर्यटकों की ऑनलाइन बुकिंग मिल रही है।
इन दिनों मैदानी क्षेत्र में पारा चढ़ने के कारण पर्यटक पहाड़ों का रुख कर रहे हैं। ईराणी में भी पर्यटकों की अच्छी-खासी आमद हो रही है। इन्हीं पर्यटकों में शामिल हैं अंडमान निकोबार से आए अमर और हैदराबाद (तेलंगाना) के विशु। ये युवा पर्यटक प्रकृति के नजारों का लुत्फ लेने के साथ ही खेतों में हल चलाने और फसल की निराई-गुड़ाई करने में भी पारंगत हो रहे हैं। खाने में स्थानीय पारंपरिक व्यंजन उनकी खास पसंद बने हुए हैं।
अमर व विशु कहते हैं कि पहाड़ के जैविक उत्पादों से तैयार व्यंजनों का कोई जवाब नहीं है। कंडाली (बिच्छू घास) की सब्जी, मंडुवे व चौलाई की रोटी, स्थानीय चावल की खीर, छाछ (मट्ठा) आदि व्यंजन उन्हें खूब पसंद आ रहे हैं। यहां का मौसम भी ऐसा है कि लौटने का मन ही नहीं करता।
गांव के प्रधान मोहन सिंह नेगी न बताया कि गांव में विलेज टूरिज्म की शुरूआत के बाद यहां पर्यटकों की लगातार आवाजाही हो रही है। इससे गांव के युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। बताया कि ईराणी आने वाले पर्यटक यहां से ऐतिहासिक लार्ड कर्जन ट्रैक की सैर पर भी जा रहे हैं।