कभी झील तो कभी बुग्याल बन जाता है तड़ागताल
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: पर्यटन के नक्शे से गायब तड़ागताल को लेकर भले ही सरकार ¨चतित न हो।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: पर्यटन के नक्शे से गायब तड़ागताल को लेकर भले ही सरकार ¨चतित न हो। मगर स्थानीय ग्रामीणों ने इस ताल की जानकारी लोगों को देने के लिए तड़ागताल के निकट पांच दिवसीय सत्यवादी हरिश्चंद्र नाटक का आयोजन किया है। लोग इस नाटक को देखने के साथ-साथ तड़ागताल की सुंदरता व आसपास के पर्यटन स्थलों का भी दीदार कर रहे हैं।
दशोली विकास खंड के निजमूला घाटी में गौंणा गांव से पांच किलोमीटर पैदल दूरी पर स्थित है तड़ागताल। यहां पर जून से लेकर दिसंबर तक एक किमी लंबे दायरे में झील अपने आप आकार लेती है। ग्रामीणों के मुताबिक यह झील दस मीटर तक गहरी हो जाती है, जबकि छह माह यहां पर बुग्याल आकार लेता है। तड़ागताल के आसपास भी अनगिनत पर्यटन स्थल हैं। इतना खूबसूरत स्थान होने के बाद भी सरकार आज तक इस खूबसूरत स्थल को पर्यटन नक्शे पर जगह नहीं दे पाई है। जबकि स्थानीय लोग लंबे समय से तड़ागताल को पर्यटन मानचित्र में जगह देने की मांग कर यहां के विकास के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
अब स्थानीय लोगों ने इस पर्यटन स्थल को लोगों तक पहुंचाने के लिए तड़ागताल में पांच दिवसीय सत्यवादी हरिश्चंद्र नाटक का मंचन शुरू किया है। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक प्रतिनिधि मोहन ¨सह नेगी ने किया। नाटक में राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित घटनाओं को लोगों के सामने रखा गया। इस नाटक को देखने के लिए दूरदराज के ग्रामीण भी यहां पहुंचे हैं। लोग रात में नाटक का आनंद ले रहे हैं तो दिन में तड़ागताल व आसपास के पर्यटन स्थलों की सुंदरता को भी निहारकर आनंदित हो रहे हैं। इस मौके पर क्षेत्र पंचायत सदस्य गजे ¨सह रावत, गुमान ¨सह बिष्ट, हुकुम ¨सह बत्र्वाल, उमेद ¨सह कठैत, दिनेश ¨सह, कान ¨सह, दर्शन ¨सह बिष्ट, लखपत कठैत आदि मौजूद थे।