स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने योग को लेकर दिया ये बड़ा बयान
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि कुछ लोगों ने योग को व्यापार बना दिया है। ऐसे में जरूरी है कि हम योग के वास्तविक स्वरूप को जीवन में उतारें।
कर्णप्रयाग, चमोली[जेएनएन]: बदरीनाथ दर्शनों को निकले गोवर्द्धन मठ (पुरी) के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान में योग की विधाओं को कुछ संत-महात्माओं ने व्यापार बना दिया है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम योग के वास्तविक स्वरूप को जीवन में उतारें और इसके प्रभावों की भी विस्तार से जानकारी लें।
कर्णप्रयाग पहुंचने पर लोनिवि गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वह वर्ष 1966 में पैदल ही बदरीनाथ धाम पहुंचे थे। लेकिन, अब वाहन आदि की सुविधा होने से यात्रा सुगम हो गई है। कहा कि देवभूमि के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है और यहां पहुंचने पर आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।
शकराचार्य ने चिंता जताते हुए कि देश का कोई भी राज्य संस्कृत भाषा के विस्तार को गंभीर नहीं है। नतीजा, धीरे-धीरे संस्कृत लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। जबकि, अमेरिका न केवल संस्कृत के विद्वानों का सम्मान करता है, बल्कि उनके आविष्कारों पर नासा के माध्यम से मुहर भी लगा देता है। शंकराचार्य ने कहा कि जो सत्य को जीवन में उतारकर आनंद का अनुभव करता है, उसका जीवन सार्थक है। वह जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
उन्होंने लोगों की धर्म पर आधारित शंकाओं का समाधान भी किया। इस मौके पर स्वामी निर्भीकानंद सरस्वती, ब्रह्मचारी मिश्र, गोविंदानंद सरस्वती, जगदगुरु शंकराचार्य न्यास पीठ के राष्ट्रीय प्रभारी प्रेमचंद्र झा, जनार्दन चमोली, विष्णुदत्त भट्ट, हरिकृष्ण भट्ट, दमयंती रतूड़ी, पंकज डिमरी, टीका प्रसाद मैखुरी, आलोक नौटियाल, कैलाश जोशी, जगदंबा प्रसाद गैरोला, सुभाष गैरोला आदि मौजूद थे।
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