आठ साल से नहीं मिली विज्ञान में मान्यता
संवाद सूत्र, जोशीमठ: भारत चीन सीमा का अंतिम महाविद्यालय बदहाल है। आठ वर्ष बाद भी इस महाविद्यालय
संवाद सूत्र, जोशीमठ: भारत चीन सीमा का अंतिम महाविद्यालय बदहाल है। आठ वर्ष बाद भी इस महाविद्यालय में विज्ञान संकाय को मान्यता नहीं मिल पाई है। जिससे विज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने के लिए यहां के छात्र छात्राओं को लंबी दौड़ लगानी पड़ रही है।
वर्ष 2010-11 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में विज्ञान संकाय की स्वीकृति मिली थी, लेकिन आठ साल बाद भी विज्ञान संकाय को स्थायी मान्यता नहीं मिल पाई है। जबकि मान्यता को लेकर केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर से पांच बार इस महाविद्यालय का पैनल हो चुका है। बताया जा रहा है कि प्रवक्ताओं की नियुक्ति व विद्यालय भवन प्रयोगशाला न होने के चलते इस महाविद्यालय को स्थायी मान्यता नहीं मिल पा रही है। जिस कारण सीमांत विकासखंड के गरीब व मेधावी छात्र छात्राएं अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। विगत आठ सालों से यहां रिक्त पदों पर प्रवक्ताओ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिस कारण इस महाविद्यालय में अध्यनरत छात्र छात्राएं उच्च शिक्षा में अध्ययन के लिए अन्यत्र महाविद्यालय में पलायन कर रहे हैं। गरीब अभिभावकों पर अतिरिक्त आíथक बोझ पड़ रहा है। कई बार छात्र छात्राओं ने आंदोलन किया मगर उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ है। अब इस महाविद्यालय में मान्यता रद्द होने का खतरा बना हुआ है। पहले यह महाविद्यालय हेमवतीनंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के संबद्ध था। अब यह श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गया है। छात्र संघ अध्यक्ष राहुल पंत का कहना है कि 14 अगस्त 2017 में उच्च शिक्षामंत्री राज्य डॉ.धन ¨सह रावत यहां आए थे। उन्होंने तीन माह के अंदर सभी प्रवक्ताओं की नियुक्ति का आश्वासन दिया था। कई बार आंदोलन किया मगर सिर्फ आश्वासन ही मिला। प्रभारी प्राचार्य डॉ.गोपालकृष्ण सेमवाल का कहना है कि विज्ञान संकाय की स्थायी मान्यता को लेकर श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से पत्राचार किया गया है। साथ ही रिक्त पदों पर प्रवक्ताओं की नियुक्ति की मांग की गई है।