कनोठ गांव में दिन में हो रही रामलीला
वैसे तो दशहरे में रामलीला पूरे देश में होती है।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: वैसे तो दशहरे में रामलीला पूरे देश में होती है। अमूमन रामलीला का आयोजन रात को ही होता है। लेकिन कोरोना का असर ही है कि विकासखंड कर्णप्रयाग के कनोठ गांव में दोपहर में रामलीला का आयोजन हो रहा है। ग्रामीणों का तर्क है कि कोरोना महामारी के दौरान रात को शारीरिक दूरी सहित अन्य मानकों को पूरा करने के लिए दिक्कत हो सकती है। लिहाजा दिन में दर्शक दूरी बनाकर बैठ रहे हैं। साथ ही सर्दी, जुकाम पीड़ित लोगों की पहचान भी हो रही है।
कर्णप्रयाग के कनोठ गांव की आबादी 600 से अधिक है। यहां पर प्रति वर्ष रामलीला का आयोजन रात्रि को होता था। कोरोना के चलते सार्वजनिक कार्यक्रमों में कमी के बाद ग्रामीणों ने बैठक कर रामलीला आयोजन के लिए सुरक्षित रास्ता निकाला। इसके लिए उन्होंने दोपहर दो बजे से पांच बजे तक गांव में रामलीला आयोजन करने की ठानी और यह रामलीला सात अक्टूबर से शुरू हुई। शनिवार को इस गांव की रामलीला में राम व रावण का युद्ध हुआ। रामलीला में बतौर मुख्य अतिथि गए भाजपा के जिला महामंत्री समीर मिश्रा का कहना है कि दिन में रामलीला आयोजन की पहल निस्संदेह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने कोरोना से बचाव के लिए यह निर्णय लिया है। ग्राम प्रधान कनोठ सुरेंद्र सिंह का कहना है कि रामलीला आयोजन राम की भक्ति का माध्यम है। यह आयोजन जरूरी था। लेकिन कोरोना से बचाव व सरकार की गाइ्डलाइन का पालन भी उतना ही जरूरी था। रात्रि को आयोजन के दौरान कोरोना से बचाव की गाइड लाइन का पालन संभव नहीं था। लिहाजा दिन में ही रामलीला आयोजन किया जा रहा है। राम के किरदार निभाने वाले गांव के ही 15 वर्षीय शनि का कहना है कि उन्होंने हमेशा रात्रि को ही रामलीला आयोजन होते देखा। दिन में रामलीला आयोजन के दौरान पाठ खेलने का आनंद ही कुछ और है। गांव के ही निवासी रावण का किरदार निभाने वाले सुबोध भी इस आयोजन के दिन में होने को सबसे सुरक्षित बताते हैं। उन्होंने कहा कि रामलीला आयोजन के दौरान उन सहित अन्य प्रमुख किरदार कोरोना से बचाव की अपील भी मंच से कर रहे हैं। इस अवसर पर धीरेंद्र भंडारी, मोहन सिंह नेगी, रविद्र सिंह नेगी सहित कई लोगों ने विचार व्यक्त किए।