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चमोली में बर्फ से ढके गांवों में चूल्हे पर भी संकट

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में बर्फ से ढके गांवों की मुश्किलें अभी कम होने के आसार

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:07 PM (IST)
चमोली में बर्फ से ढके गांवों में चूल्हे पर भी संकट
चमोली में बर्फ से ढके गांवों में चूल्हे पर भी संकट

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में बर्फ से ढके गांवों की मुश्किलें अभी कम होने के आसार नहीं हैं। हाल यह है कि गांव में पैदल आवाजाही न होने से रसोई गैस नहीं पहुंच पा रही है, वहीं लकड़ी भी उपलब्ध नहीं है। प्रशासन के दावों के बाद भी मिट्टी का तेल भी ग्रामीण को नसीब नहीं है। ऐसे में राशन गांव तक पहुंचाना और इसे पकाना दोनों ही समस्या बनकर उभरी है।

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चमोली जिले में 146 गांव बर्फ से ढके हैं। इन गांवों तक जाने वाले पैदल मार्ग बंद हैं। कई गांवों में तो बर्फ ज्यादा होने के चलते पैदल मार्गो का अता-पता ही नहीं है। जोशीमठ के डुमक व कलागोठ गांव सड़क से दस किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इन गांवों की लाइफलाइन कहीं जाने वाले गांव के पैदल मार्ग भी बर्फ से ढके हैं। यही स्थिति चमोली के बर्फबारी से प्रभावित दर्जनों गांवों की भी है। ऐसे में पैदल मार्ग पर आवाजाही किसी खतरे से कम नहीं है। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि जल्द ही स्थिति सुधरेगी, परंतु मौसम विभाग के अनुसार अभी कुछ दिन और यही स्थिति रहने वाली है। इन गांवों में वैसे तो ग्रामीणों ने शीतकालीन आफत को देखते हुए ग्रामीण पहले ही जरूरी सामान घरों में स्टोर करते हैं, लेकिन मौसम साफ नहीं हुआ तो भविष्य में दूरदराज के क्षेत्रों में भी राशन की कमी हो सकती है। बर्फबारी से प्रभावित गांवों के लोगों की सबसे बड़ी समस्या चूल्हा जलाने की है। ठंड के कारण रसोई गैस जलने में दिक्कत हो रही है। लकड़ी की कमी भी बनी हुई है। मिट्टी के तेल की आपूर्ति भी अक्टूबर से नहीं हुई है। ऐसे में गांवों में चूल्हे की समस्या गहरा गई है। एक राशन कार्ड पर दो लीटर मिट्टी का तेल मिलना था, वह भी अक्टूबर माह से नहीं आया। सरकारी नियमों के कारण लोगों को भारी परेशानी हो रही है। रसोई गैस जल नहीं रही और ऐसे में मिट्टी तेल न मिलने से परेशानी और बढ़ गई है।

विकासखंड घाट के ल्वाठ गांव निवासी मकर ¨सह का कहना है कि बर्फ से जंगल हो या घर ढ़के हुए हैं। रसोई गैस की भी किल्लत है। अब सहारा मिट्टी तेल का था, जो कई माह से गांवों में पहुंचा ही नहीं है। ऐसे निचले स्थानों से डीजल मंगाकर रसोई जला रहे हैं। सड़क मार्ग से 16 किलोमीटर कनोल गांव की क्षेत्र पंचायत सदस्य पुष्पा देवी का कहना है कि अब घरों में रखा खाद्यान्न समाप्ति की ओर है। मिट्टी तेल तो कई माह से सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में आया नहीं, ऐसे में ग्रामीणों की मुश्किल खुद समझी जा सकती है। जोशीमठ के कलगोठ गांव के प्रधान दिलीप ¨सह चौहान का कहना है कि गांवों तक पैदल मार्ग बर्फ से बंद है। घोड़ों से खाद्यान्न गांव तक नहीं पहुंच रहा है। मिट्टी तेल लाइफलाइन है, जो अभी उपलब्ध नहीं हो रहा है।

ये है स्थिति

बर्फ से प्रभावित गांवों की संख्या

विकासखंड जोशीमठ,62

विकासखंड दशोली,8

विकासखंड पोखरी,नौ

विकासखंड गैरसैण,26

विकासखंड थराली,32

विकासखंड घाट,नौ

मिट्टी तेल की स्थिति

जिले में कुल खपत, 52 केएल

उपलब्ध,14 केएल

(नोट उक्त मिट्टी का तेल भी अक्टूबर माह से नहीं आया) मिट्टी का तेल शासन स्तर से ही बंद है। जिन परिवारों के पास रसोई गैस कनेक्शन हैं, उन्हें मिट्टी तेल नहीं दिया जाता है। खाद्यान्न को लेकर अग्रिम सप्लाई भेजी गई है। बर्फबारी से प्रभावित गांवों में पैदल मार्गो और सड़कों को खोलने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है । फिलहाल कहीं भी खाद्यान संकट की शिकायत नहीं है।

मोहन ¨सह बर्निया, एडीएम चमोली

खाद्यान्न की आपूर्ति सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों तक अग्रिम करने के आदेश दिए गए हैं। बर्फबारी से प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न संकट जैसी समस्या अभी नहीं आई है। मिट्टी के तेल की आपूर्ति शीघ्र की जाएगी।

डीपी जोशी, प्रभारी पूर्ति अधिकारी चमोली


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