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Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम में शेषनेत्र झीलों के कायाकल्प की तैयारी, जानिए इसका धार्मिक महत्व

Badrinath Dham बदरीनाथ धाम में स्थित शेषनेत्र और शेषनेत्र बदरीश झील का धार्मिक महत्व तो है ही यह बदरिकाश्रम क्षेत्र की सुंदरता में भी चार चांद भी लगाती हैं। लेकिन रेख-देख न होने के कारण समय के साथ यह झील गंदगी का पर्याय बनती चली गईं।

By Edited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:45 AM (IST)
Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम में शेषनेत्र झीलों के कायाकल्प की तैयारी, जानिए इसका धार्मिक महत्व
उत्‍तराखंड के चमोली जिले के बदरीनाथ धाम में स्थित शेषनेत्र झील।

गोपेश्वर(चमोली), देवेंद्र रावत। Badrinath Dham बदरीनाथ धाम में स्थित शेषनेत्र और शेषनेत्र बदरीश झील का धार्मिक महत्व तो है ही, यह बदरिकाश्रम क्षेत्र की सुंदरता में भी चार चांद भी लगाती हैं। लेकिन, रेख-देख न होने के कारण समय के साथ यह झील गंदगी का पर्याय बनती चली गईं। वर्तमान में घास व काई जमी होने से झीलों में पानी नाममात्र को रह गया है। जबकि, बीते वर्षों में दोनों झील यात्राकाल के दौरान पानी से लबालब रहती थी। हालांकि, अब बदरीनाथ महायोजना में इन झीलों के सुंदरीकरण का भी प्रस्ताव होने से भविष्य में इनके पूर्व स्वरूप लौटने की उम्मीद जगी है।

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बदरीनाथ धाम में यात्रियों के ठहरने के लिए ज्यादातर होटल, रैन बसेरे, आश्रम व धर्मशालाएं नर पर्वत की तलहटी में ही बने हैं। यहीं शेषनेत्र झील भी मौजूद है। यह झील का आकर्षण ही है कि यात्री व पर्यटक इसके किनारे कुछ वक्त गुजारना नहीं भूलते। हालांकि, रख-रखाव न होने के कारण बीते दस सालों से झील में जल का स्तर लगातार घट रहा है। पिछले दो-तीन वर्षों से तो ग्रीष्मकाल में यह लगभग सूख ही जा रही है। यही नहीं, झील के किनारे सरकारी भवनों के निर्माण से भी इसकी खूबसूरती को ग्रहण लग रहा है। दूसरी शेषनेत्र बदरीश झील का भी यही हाल है।

हालांकि, अब बदरीनाथ धाम के विकास को प्रस्तावित मास्टर प्लान-2025 में इन दोनों झीलों को भी शामिल किया गया है। सचिव पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति दिलीप जावलकर कहते हैं कि मास्टर प्लान के तहत पहले चरण में झील का सुंदरीकरण किया जाना है। इसके बाद झील के किनारे बैठने और मंदिर तक आस्था पथ का निर्माण किया जाना है। बदरीनाथ महायोजना के लिए 424 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है।

शेषनेत्र झील का धार्मिक महत्व

मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के धाम में शेषनाग भी वास करते हैं। धाम में मंदिर के पीछे नारायण पर्वत के पास शेषनाग के आकार का पर्वत है। इसे मंदिर का रक्षक माना गया है। शायद यही वजह है कि हिमखंडों से मंदिर को कभी नुकसान नहीं पहुंचा। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी पंडित भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि नर पर्वत पर शेषनेत्र झील के ठीक ऊपर एक चट्टान पर आंखों की दो आकृति अंकित हैं। मान्यता है कि ये शेषनाग की आंखें हैं, जिनसे वे भगवान नारायण के दर्शन करते हैं। इसी स्थान से निकलने वाली जलधारा से बनी झील शेषनेत्र झील कहलाती है। इसी के पास एक अन्य झील भी मौजूद है, जिसे शेषनेत्र बदरीश झील कहा जाता है। शेषनेत्र झील 400 मीटर लंबी व सौ मीटर चौड़ी है, जबकि शेषनेत्र बदरीश झील की लंबाई 200 मीटर व चौड़ाई 20 मीटर है। मूलरूप में दोनों झीलों की गहराई दो से लेकर पांच मीटर तक है।


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