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बदरीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल तीर्थ में शुरू हुआ पिंडदान

बदरीनाथ धाम में यात्रियों की आमद बढ़ने के साथ ही वहां ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितरों का तर्पण व पिंडदान शुरू हो गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 08:29 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 08:29 PM (IST)
बदरीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल तीर्थ में शुरू हुआ पिंडदान
बदरीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल तीर्थ में शुरू हुआ पिंडदान

चमोली, जेएनएन। बदरीनाथ धाम में यात्रियों की आमद बढ़ने के साथ ही वहां ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितरों का तर्पण व पिंडदान शुरू हो गया है। पहले धाम के तीर्थ पुरोहितों ने लॉकडाउन के दौरान पिंडदान न करने का निर्णय लिया था।

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सोमवार को 264 श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। कई श्रद्धालुओं ने ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितरों का पिंडदान भी कराया। तीर्थ पुरोहित हरीश चंद्र कोठियाल ने बताया कि श्रद्धालु दूर-दूर से पितरों के पिंडदान को बदरीनाथ धाम आते हैं। इसलिए सोमवार से ब्रह्मकपाल तीर्थ में पिंडदान शुरू कर दिया गया। उधर, केदारनाथ धाम में दिनभर श्रद्धालुओं को आवागमन बना रहा। सोनप्रयाग से 213 लोग केदारनाथ के लिए रवाना हुए। इनमें 198 यात्री, दो तीर्थ पुरोहित और 13 श्रमिक शामिल हैं।

प्रतिबंध के बावजूद भीम पुल तक पहुंचे यात्री 

बदरीनाथ धाम आ रहे यात्रियों को देश के अंतिम गांव माणा जाने की मनाही है। बावजूद इसके कुछ यात्री माणा गांव के पास भीम पुल तक पहुंच जा रहे हैं। यात्री माणा गांव के ऊपर बने पैदल मार्ग से सीधे सरस्वती नदी के उद्गम व भीम पुल जा रहे हैं।

510 ने किया ई-पास के लिए आवेदन

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट  www.badrinath-kedarnath.gov.in  पर चारधाम दर्शनों के लिए लगातार ई-पास को आवेदन हो रहे हैं। सोमवार को प्रदेश के विभिन्न स्थानों से 510 श्रद्धालुओं ने बोर्ड की वेबसाइट पर ई-पास के लिए आवेदन किया। इनमें बदरीनाथ के लिए 195, केदारनाथ के लिए 232, गंगोत्री के लिए 53 और यमुनोत्री के लिए 30 आवेदन शामिल हैं। बोर्ड की ओर से एक जुलाई से लेकर अब तक कुल 5078 ई-पास जारी किए जा चुके हैं। 

सावन में पहली बार दर्शनार्थ बंद हुआ प्राचीन नीलकंठ मंदिर

ऋषिकेश में श्रावण मास की कांवड़ यात्रा का प्रमुख केंद्र प्राचीन श्री नीलकंठ महादेव मंदिर पहली बार श्रावण मास में श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है। पहली बार है कि श्रावण मास के पहले सोमवार को नीलकंठ महादेव मंदिर में एक भी श्रद्धालु ने जलाभिषेक किया और ना ही दर्शन।  मणिकूट पर्वत की तलहटी में मधुमति व पंकजा नदी के संगम पर स्थित प्राचीन श्री नीलकंठ महादेव मंदिर को इस बार कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए बंद रखने का फैसला लिया गया है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी लंबी अवधि के लिए नीलकंठ महादेव मंदिर को बंद किया गया है।

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अभी तक सिर्फ ग्रहण के सूतक काल में ही नीलकंठ मंदिर को बंद किया जाता रहा है। नीलकंठ महादेव मंदिर के प्रबंधक महंत सुभाष पुरी ने बताया कि मंदिर समिति ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण और सुरक्षा की दृष्टि से यह फैसला लिया है। श्रावण माह में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री नीलकंठ महादेव मंदिर में दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। जिनमें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु सबसे अधिक संख्या में पहुंचते हैं। श्रावण मास में पिछले कुछ वर्षों से तो एक दिन में एक लाख से तीन लाख तक की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे थे। 

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