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देश के अंतिम गांव माणा में यात्रियों का रेला, बदरीनाथ में खुले में गुजार रहे रात

श्री बदरीनाथ धाम में रिकार्ड यात्रियों के से देश के अंतिम गांव माणा में रौनक छाई है। वहीं, बदरीनाथ धाम में यात्रियों को खुले में रात काटनी पड़ रही है।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 05:17 PM (IST)
देश के अंतिम गांव माणा में यात्रियों का रेला, बदरीनाथ में खुले में गुजार रहे रात
देश के अंतिम गांव माणा में यात्रियों का रेला, बदरीनाथ में खुले में गुजार रहे रात

चमोली, [हरीश बिष्ट]: श्री बदरीनाथ धाम में रिकार्ड यात्रियों के पहुंचने के बाद देश के अंतिम गांव माणा में भी रौनक छाई हुई है। रोजाना हजारों माणा पहुंचकर वहां आसपास के दर्शनीय एवं धार्मिक स्थलों का दीदार कर रहे हैं। माणा में यात्रियों की भीड़ से स्थानीय भोटिया जनजाति के लोग भी खासे उत्साहित हैं। वहीं बदरीनाथ में होटल व धर्मशाला पैक होने से यात्रियों को खुले आसमान में रात गुजारनी पड़ रही है। 

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देश का अंतिम गांव माणा बदरीनाथ धाम से तीन किमी की दूरी पर स्थित है। इसलिए देश-दुनिया से बदरीनाथ धाम आने वाले ज्यादातर यात्री माणा जाना नहीं भूलते। इस बार रिकार्ड संख्या में यात्री माणा गांव पहुंच रहे हैं। 30 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से लेकर अब तक 60 हजार से अधिक यात्री माणा पहुंच चुके हैं।

बढ़ रहा है ऊनी वस्त्रों का कारोबार

माणा में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं। सदियों से इनका प्रमुख व्यवसाय ऊनी वस्त्र तैयार करना है। यात्राकाल के दौरान यात्री जब माणा गांव पहुंचते हैं तो ग्रामीणों द्वारा तैयार ऊनी वस्त्र शॉल, मफलर, दन, पंखी, मोजे व टोपियों की जमकर खरीदारी करते हैं। 

माणा के पूर्व प्रधान पीतांबर मोलफा बताते हैं कि इन दिनों भी माणा में ऐसा ही नजारा है। यात्रियों की भीड़ बढ़ने से ऊनी कारोबार खूब फूल-फल रहा है।

पार्किंग न होने से लग रहा जाम

माणा में रोजाना सैकड़ों यात्री वाहनों की आमद हो रही है। लेकिन, पार्किंग की स्थायी व्यवस्था न होने के कारण यात्री अपने वाहनों को माणा गांव से पहले सड़क के दोनों ओर खड़े करने के बाद ही आसपास के तीर्थ स्थलों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में अक्सर जाम की स्थिति भी बन जाती है।

इन धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण कर रहे यात्री

माणा पहुंचने वाले यात्री पांडव कालीन भीम पुल को देख अभिभूत हो रहे हैं। वह भीम पुल के नीचे से बह रही सरस्वती नदी के संगम पर भी पूजा-अर्चना कर रहे हैं। इसके अलावा यात्री व्यास गुफा, गणेश गुफा, मुचकुंद गुफा, वसुधारा जल प्रपात के दर्शनों को भी लगातार पहुंच रहे हैं।

बदरीनाथ में नहीं मिल रहा यात्रियों को ठौर

रिकार्ड संख्या में यात्रियों के बदरीनाथ धाम पहुंचने के कारण अब यहां यात्रियों को ठौर तक नहीं मिल पा रहा। नतीजा देर से बदरीनाथ पहुंचने वाले यात्रियों को कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि रात को होटल न मिलने के कारण कई यात्री तो सीधे दर्शनों की लाइन में लग जा रहे हैं। सो, बिना भोजन किए आंखों ही आंखों में उनकी नींद पूरी हो रही है।

श्री बदरीनाथ धाम में इन दिनों कई स्थानों पर भागवत कथाओं का आयोजन हो रहा है। इसके चलते धाम पर यात्रियों का दबाव बढ़ गया है। दरअसल, भागवत कथा आयोजकों ने धाम में सभी धर्मशाला, होटल व लॉज बुक किए हुए हैं। जिससे यात्रियों को कमरे मिलने मुश्किल हो गए हैं। जो यात्री सुबह बदरीनाथ पहुंच रहे हैं उन्हें तो ठौर मिल जा रहा है, लेकिन शाम को पहुंचने वाले यात्रियों को कड़ाके की ठंड में भी खुले आसमान के नीचे ही रात बितानी पड़ रही है।

शेख सराय (नई दिल्ली) के यात्री विकेंद्र सिंह बताते हैं कि वह परिजनों के साथ बीती शाम बदरीनाथ धाम पहुंचे थे। लेकिन, तमाम प्रयासों के बाद भी उन्हें सिर छिपाने को जगह नहीं मिल पाई। ऐसे में उन्होंने रात को दर्शनों की लाइन में लगना ही बेहतर समझा। ताकि यात्रियों के बीच ठंड से तो बचे रहेंगे।

28 दिन में पौने चार लाख पहुंचे बदरीनाथ

रविवार शाम तक तीन लाख 77 हजार 352 यात्री बदरीनाथ धाम में दर्शनों को पहुंच चुके थे। जबकि, अभी यात्रा को शुरू हुए महज 28 दिन बीते हैं। जाहिर है ऐसे में यात्रियों को ठौर मिलना अपने आप में चुनौती है। उस पर भागवत कथाओं के आयोजन के चलते बड़ी संख्या में लोग आयोजकों के साथ बदरीनाथ धाम पहुंचे हुए हैं। जिनके होटल, लॉज व धर्मशालाओं में टिके होने से यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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