देश के अंतिम गांव माणा में बांटे मटर के बीज
चीन सीमा पर समुद्रतल से 10227 फीट की ऊंचाई पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा में मटर की पैदावार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा की प्रयोगशाला में तैयार किए गए हैं यह बीज
-माणा के 200 परिवारों को बांटे गए बीज, सब्जियों के उत्पादन से मजबूत होगी आर्थिकी
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संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चीन सीमा पर समुद्रतल से 10227 फीट की ऊंचाई पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा में मटर की पैदावार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा की ओर से माणा में भोटिया जनजाति के ग्रामीणों को मटर व कद्दू के हाईब्रिड बीज वितरित किए गए।
संस्थान के सब्जी एवं समाजिक विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. बृजमोहन पांडे ने बताया कि मटर व कद्दू के हाईब्रिड बीज संस्थान की प्रयोगशाला में तैयार किए गए हैं। इनमें वी-2, वी-17, वी-13, वी-16 व जीएस जैसे हाईब्रिड बीज ग्रामीणों को वितरित किए गए। कहा कि चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र में किसान इन बीजों से बेहतर फसल लेकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकेंगे। ग्राम पंचायत माणा के निवर्तमान प्रधान पीतांबर मोल्फा ने बताया कि संस्थान की ओर से गांव के 200 परिवारों को मटर व कद्दू के बीज वितरित किए गए हैं।
बताया कि माणा गांव के लोग ग्रीष्मकाल में आलू, चौलाई, फरण जैसी पारंपरिक फसलों की खेती की करते हैं। यात्रा सीजन के दौरान इनसे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो जाती है। अब उन्नत तकनीकी की सब्जियों के उत्पादन से न केवल उनकी खेती का फलक बढ़ेगा, बल्कि आर्थिकी भी मजबूत होगी।