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प्याज चढ़ा 'पहाड़', नीचे उतरा रसोई का बजट

जागरण टीम गढ़वाल लगातार पहाड़ चढ़ते प्याज के दाम से रसोई का बजट नीचे उतर गया है। गढ़वाल क्षे˜

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 10:22 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 06:15 AM (IST)
प्याज चढ़ा 'पहाड़', नीचे उतरा रसोई का बजट
प्याज चढ़ा 'पहाड़', नीचे उतरा रसोई का बजट

जागरण टीम, गढ़वाल: लगातार पहाड़ चढ़ते प्याज के दाम से रसोई का बजट नीचे उतर गया है। गढ़वाल क्षेत्र में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज औसतन 100-120 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसके चलते प्याज आम लोगों की थाली से दूर हो गया है। वहीं प्याज की बिक्री घटने से सब्जी विक्रेता भी परेशान हैं।

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इस बार नहीं हुई प्याज की खेती

नई टिहरी: जिले में हर साल प्याज की खेती की जाती थी। सारजूला पट्टी, डोबरा, क्यारी, खेमड़ा और बागी प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्र हैं। इसके चलते प्याज की बढ़ती कीमत का असर क्षेत्र में नहीं पड़ता था। लेकिन, इस बार अत्यधिक बारिश के चलते प्याज की खेती नहीं हो पाई। नई टिहरी के सब्जी विक्रेता राजेंद्र प्रसाद बताते हैं पिछले साल दुकानों में प्याज के ढेर लगे रहते थे। बीते कई वर्षो से जिले में प्याज की अच्छी पैदावार हो रही थी। लेकिन, इस बार स्थानीय प्याज बाजार में नहीं आए हैं।

थोक में सस्ता पड़ रहा प्याज

उत्तरकाशी: जिला मुख्यालय में रविवार को प्याज 100 रुपये प्रति किलो बिका। जबकि, चिन्यालीसौड़ में प्याज की कीमत 90 रुपये प्रति किलो रही। वहीं मोरी, भटवाड़ी, पुरोला और बड़कोट में प्याज 100 रुपये प्रति किलो बिका। जबकि, 20 किलो एकसाथ ले जाने पर प्याज 80 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है।

गौचर में 70 रुपये किलो मिल रहा प्याज: चमोली जिले के बदरीनाथ हाईवे स्थित गौचर बाजार में प्याज 70 रुपये किलो बिक रहा है। यहां प्याज सीधे नजीबाबाद मंडी से आती है, जिसके चलते गौचर में प्याज के दाम बाकी क्षेत्रों से अपेक्षाकृत कम हैं। वहीं गौचर बाजार से ही जिले में सब्जी वाहन रवाना होते हैं। इसके चलते इसे जिले के सब्जी व्यापारियों की मंडी भी कहा जाता है।

दाल-सब्जियों में लगा रहे 'पहाड़ी तड़का'

प्याज के आंसू रो रहे लोग अब दाल-सब्जियों में पहाड़ी तड़का लगा रहे हैं। जीरे के अलावा जखिया और फरण की बिक्री काफी बढ़ गई है। बाजार में जखिया तीन सौ रुपये प्रति किलो को फरण का पैकेट बीस रुपये का बिक रहा है।

घटी प्याज की बिक्री

प्याज की कीमत बढ़ने का असर इसकी बिक्री पर भी पड़ा है। गढ़वाल के बाजारों से लेकर दुकानों तक इसका असर साफ नजर आ रहा है। कोटद्वार के सब्जी विक्रेता अशरफ बताते हैं कि पहले जो लोग पांच किलो प्याज खरीदते थे, अब वो आधा किलो, पावभर प्याज खरीद रहे हैं। ऐसे में वो भी कम ही प्याज ला रहे हैं। वहीं रुद्रप्रयाग में सब्जी के थोक विक्रेता सलीम बताते हैं, व्यापारी कम मात्रा में प्याज अपनी दुकानों में रख रहा है। जहां पहले 50 किलो की बोरियां सब्जी विक्रेता उनसे खरीदते थे, वहीं अब पांच या 10 किलो ही प्याज रख रहे हैं। पौड़ी के सब्जी विक्रेता नरेश, शहजाद आलम बताते हैं कि यदि कीमत जल्द ही कम नहीं हुई तो प्याज की बिक्री और अधिक प्रभावित होगी। प्याज की कम खपत को देखते हुए उन्होंने डिमांड भी कम कर दी है। वहीं कई छोटे दुकानदारों ने प्याज की बिक्री बंद कर दी है।

रामणी गांव में 140 रुपये किलो प्याज

गोपेश्वर: चमोली जिले के अति दूरस्थ रामणी गांव में प्याज के भाव आसमान पर हैं। 200 परिवारों वाले गांव में छोटे दुकानदार 140 रुपये प्रति किलो प्याज बेच रहे हैं। यहां का नजदीकी बाजार घाट रामणी से 30 किमी दूर है। गांव से घाट बाजार का किराया 100 रुपये है, ऊपर से सड़क भी काफी खराब है। रामणी के प्रधान एसएस पंवार का कहना है कि 100 रुपये खर्च कर घाट में 120 रुपये किलो प्याज खरीदने में फायदा कम, नुकसान ज्यादा है। शादी समारोह में भी प्याज का इस्तेमाल कम किया जा रहा है।

सलाद ने ली सब्जी की जगह

कोटद्वार निवासी गृहिणी बीना देवी बताती हैं कि प्याज ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। इसलिए अब तो सब्जी की जगह लोग गाजर-मूली का सलाद खाने लगे हैं। इसके अलावा अचार और चटनी को लोग विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने लगे हैं।

यह हैं स्थिति

जिला,कीमत

टिहरी,100-120

पौड़ी,100-120

रुद्रप्रयाग,100

चमोली,120-140

उत्तरकाशी,90-100

(नोट: कीमत रुपये प्रति किलो में)

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प्याज के दाम नियंत्रित करने के लिए एक सप्ताह पहले सभी सब्जी व्यापारियों की बैठक ली गई थी। जिसमें प्याज की जमाखोरी रोकने को लेकर चर्चा की गई थी ताकि प्याज के दाम नियंत्रित रखे जा सके।

गोपाल मटूड़ा, जिला पूर्ति अधिकारी, उत्तरकाशी


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