Move to Jagran APP

दो सीजन में सिर्फ तीन पर्यटक पहुंचे नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, पढ़िए पूरी खबर

विश्व धरोहर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की सैर को बीते वर्ष से अब सिर्फ तीन पर्यटक ही पहुंच पाए हैं। इनमें भी कोई भारतीय पर्यटक नहीं है।

By Edited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 03:38 PM (IST)
दो सीजन में सिर्फ तीन पर्यटक पहुंचे नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, पढ़िए पूरी खबर
दो सीजन में सिर्फ तीन पर्यटक पहुंचे नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, पढ़िए पूरी खबर

चमोली, रणजीत सिंह रावत। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उच्च हिमालय में स्थित विश्व धरोहर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व) की सैर को बीते वर्ष से अब सिर्फ तीन पर्यटक ही पहुंच पाए हैं। इनमें भी कोई भारतीय पर्यटक नहीं है। दरअसल, हाई कोर्ट के आदेश के बाद बुग्यालों में कैंपिंग बंद होने से पार्क में पर्यटकों का अकाल-सा पड़ गया है। रही-सही कसर पूरी कर रहा है इस ट्रैकिंग रूट पर सुविधाओ का अभाव। इस ट्रैक पर पर्यटकों को पर्वतारोहण जैसा जोखिम उठाना पड़ता है। यही नहीं, पर्यटक लाता से सिर्फ 14 किमी अंदर धरासी पास तक की ही जा सकते हैं। इससे आगे का क्षेत्र प्रतिबंधित है। यही वजह है कि कोई पर्यटक पास की ओर रुख करना पसंद नहीं कर रहा।

loksabha election banner

चमोली जिले में सीमांत ब्लॉक मुख्यालय जोशीमठ से महज 24 किमी की दूरी पर स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान चारों ओर से नंदा देवी पर्वत शृंखलाओं से घिरा हुआ है। पार्क एक जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खोला जाता है। लेकिन, विडंबना देखिए कि इन दो महीनों में एक भी पर्यटक पार्क की सैर को नहीं पहुंचा। बीते वर्ष भी सिर्फ तीन विदेशी पर्यटक ही यहां आए थे। पर्यटन व्यवसायी दिनेश उनियाल कहते हैं कि कैंपिंग बंद होने से पर्यटकों ने इधर का रुख करना ही बंद कर दिया है। जो इक्का-दुक्का पहुंचते भी हैं, उन्हें एक ओर से ट्रैक की दुश्वारियों से दो-चार होना पड़ता है, वहीं पूर ट्रैक पर कहीं पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। उनियाल के अनुसार सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को सिर्फ धरासी पास तक ही जाने की अनुमति है, जिससे वे यहां की जैवविविधता का भी दीदार नहीं कर पाते।

2004 में हुआ वल्र्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल

वर्ष 1982 में नंदा देवी क्षेत्र के 630.33 वर्ग किमी क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। 12 जनवरी 1987 को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क अस्तित्व में आया और वर्ष 1992 में इसे विश्व धरोहर के रूप में पहचान मिली। वर्ष 2004 में इसे यूनेस्को के वर्ल्‍ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में सम्मिलित किया गया। यह पार्क फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व बनता है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2236.74 वर्ग किमी है और इसके चारों ओर 5148.57 वर्ग किमी का बफर जोन है।

जैव विविधता का अनूठा खजाना

नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में 400 प्रजाति के वृक्ष, 750 प्रजाति के औषधीय पौधे, 90 प्रजाति की झाडिय़ां, 36 प्रजाति के स्तनधारी जीव, 220 प्रजाति के पक्षी, 54 प्रजाति के सर्प और 500 से अधिक प्रजाति के फूल पाए जाते हैं। यहाँ पर स्नो लेपर्ड, ब्राउन बेयर, हिमालयन ब्लैक बेयर, हिमालयन थार सहित कई दुर्लभ प्रजाति के जीव पाये जाते हैं।

नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे पर्यटक

वर्ष----------देशी----------विदेशी----------कुल

2019-----------00----------00----------00

2018----------00----------03----------03

2017----------03----------08----------11

2016----------49----------07----------56

2015----------25----------12----------37

2014----------26----------05----------31

2013----------10----------10----------29

धीरेश चंद्र बिष्ट (वन क्षेत्राधिकारी, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व) का कहना है कि बुग्यालों में कैंपिंग बंद होने के बाद देशी-विदेशी पर्यटक का पार्क से मोह भंग हो गया है। दो सीजन में सिर्फ तीन पर्यटकों का पार्क की सैर को पहुंचना इसका प्रमाण है। इस सीजन में तो यहां एक भी पर्यटक नहीं पहुंचा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बाघों के कुनबे में इजाफे के बीच बढ़ी चुनौतियां, पढ़िए पूरी खबर

यह भी पढ़ें: दिल्ली तक पहुंच रहा है यमुना घाटी का हिम सोना, पढ़िए पूरी खबर

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.