ब्रह्म मुहूर्त में खुले बदरीनाथ धाम के कपाट
विधि विधान के साथ भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इसके साथ ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो चुकी है।
बदरीनाथ, चमोली [जेएनएएन]: आस्था, उल्लास और उत्साह के साथ ब्रह्म मुहूर्त में बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। पहले दिन 37 हजार 966 श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। इसी के साथ चार धाम यात्रा का औपचारिक शुभारंभ हो गया है। इससे पहले रविवार 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम और 18 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खोल जा चुके हैं।
इस शुभ अवसर का साक्षी बनने के लिए रविवार से ही धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमडऩे लगा था। सोमवार को प्रात: तीन बजे से कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू की गईं। ठीक चार बजे फूलों से सजे मंदिर के मुख्य द्वार पूजा की गई। इसके बाद हकहकूक धारियों, बदरी-केदार मंदिर समिति के पदाधिकारियों और प्रशासन की उपस्थिति में मुख्य द्वार के ताले खोले गए। इसके बाद ठीक साढ़े चार बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में कपाट खोले गए।
गर्भगृह में अखंड ज्योति के दर्शन के बाद शीतकाल के दौरान ओढ़ा गया घृत कंबल को उतार भगवान बदरी-विशाल का फूलों से शृंगार किया गया। साथ ही आभूषण पहनाए गए। इसी के साथ मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिया गया। दोपहर में भगवान नारायण को इस साल का पहला राजभोग लगा। कपाट खुलने के दौरान सेना की बैंड की धुनों के साथ माहौल भक्तिमय हो गया तो बदरीनाथ के निकट माणा और बामणी गांव की महिलाओं ने लोकनृत्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
इस अवसर पर धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत, बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, केदारनाथ के विधायक मनोज रावत और मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल मौजूद थे।
मंगलवार से दर्शनों के लिए लेना होगा टोकन
आमतौर मंदिर में दर्शन के लिए यात्रियों को टोकन लेना होता है। इसके लिए मंदिर समिति ने पांच काउंटर बनाए हैं। बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि पहले दिन यात्रियों को बिना टोकन के लिए दर्शन की अनुमति दी गई है। मंगलवार से टोकन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
रात से लगने लगीं थीं कतारें
बदरीनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु रात से कतार में लगना शुरू हो गए। मंदिर परिसर से लेकर ब्रह्मकपाल तक लंबी कतारें नजर आईं। ब्रह्म कपाल पर करीब एक किलोमीटर लंबी कतार लगी थी। ब्रह्म कपाल पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त कर्मकांड करते हैं।
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