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नीती घाटी में जिंदगी पर लॉकडाउन का ब्रेक, प्रशासन ने यथास्थान पर रहने के दिए निर्देश

कोरोना वायरस से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के चलते जोशीमठ के तिब्बत सीमा क्षेत्र में ग्रीष्मकाल में रहने वाले जनजाति के लोगों को इस बार वहां जाने में देरी हो सकती है।

By Edited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 12:47 PM (IST)
नीती घाटी में जिंदगी पर लॉकडाउन का ब्रेक, प्रशासन ने यथास्थान पर रहने के दिए निर्देश
नीती घाटी में जिंदगी पर लॉकडाउन का ब्रेक, प्रशासन ने यथास्थान पर रहने के दिए निर्देश

गोपेश्वर, जेएनएन। चमोली जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों के माइग्रेशन पर कोरोना की मार पड़ रही है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के चलते जोशीमठ के तिब्बत सीमा क्षेत्र में ग्रीष्मकाल में रहने वाले जनजाति के लोगों को इस बार वहां जाने में देरी हो सकती है। प्रशासन ने लॉकडाउन के चलते लोगों को यथास्थान पर रहने के निर्देश दिए हैं।

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गौरतलब है कि चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड के नीती, माणा घाटियों में भोटिया जनजाति के लोग ग्रीष्मकाल में निवास करते हैं, जबकि अक्टूबर माह में ये लोग विकासखंड दशोली, घाट, कर्णप्रयाग के देवलीबगड़, तेफना, घाट, गोपेश्वर, बालखिला, नैग्वाड़, बिजार, थिरपाक सहित अन्य गांवों में मवेशियों सहित आते हैं। प्रतिवर्ष माइग्रेट होना इनकी परंपरा का हिस्सा है। 

शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन गांवों में जनजाति के लोगों के घर हैं। लेकिन सीमावर्ती गांवों में जनजाति के लोगों की खेती है। अप्रैल माह में जनजाति के लोग निचले स्थानों से सीमा क्षेत्र के अपने गांवों में कृषि सहित अन्य कार्य के लिए पशुओं सहित जाते हैं। इस दौरान वे दस दिनों से अधिक के पड़ाव में पैदल ही ग्रीष्मकालीन आवासों में पहुंचते हैं। सीमा क्षेत्र में जाने वाले ये लोग सीमा के द्वितीय प्रहरी के रूप में भी जाने जाते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रशासन ने लॉकडाउन किया है। ऐसे में फिलहाल किसी को भी आवागमन की इजाजत नहीं है।

जनजाति के लोगों को भी फिलहाल शीतकालीन प्रवास पर ही रहने को कहा गया है। ग्रामीण इसलिए चिंतित हैं कि अगर यह लॉकडाउन देर तक रहा तो उनकी सीमा क्षेत्रों में नकदी फसलों की बुआई का समय चला जाएगा। ऐसे में उन्हें आर्थिकी के नुकसान के साथ आजीविका पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जनजाति के लोगों का कहना है कि शीतकालीन गांवों में उनके पास खेती नहीं है। 

ऐसे में वे ग्रीष्मकालीन प्रवास वाले गांवों में ही खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं। तेफना निवासी राम सिंह राणा का परिवार ग्रीष्मकाल में नीती घाटी के मलारी में रहता है। राम सिंह का कहना है कि अगर ग्रीष्मकालीन प्रवासों में जाने में देरी हुई तो उन्हें कृषिकरण से होने वाली आय का नुकसान होगा। यह गरीबों के लिए वर्षभर की आजीविका का साधन है।

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सीमावर्ती गांव 

जोशीमठ विकासखंड के माणा, हनुमानचट्टी, बेनाकुली, अटूड़ी पटूड़ी नीती, गमशाली, बाम्पा, कैलाशपुर, मलारी, द्रोणागिरी, मेहरगांव, जुम्मा, कागा, गरपक, जेलम आदि सीमावर्ती गांव है।

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