Joshimath Sinking: सिंहधार में खिसक रही 20 फीट से भी ऊंची भारी-भरकम चट्टान, सैकड़ों परिवारों की अटकी सांसें
Joshimath is Sinking सिंहधार वार्ड में खिसक रही भारी-भरकम चट्टान को रोकने के लिए किया गया कामचलाऊ उपाय है। अगर जमीन में हलचल बढ़ने पर यह चट्टान नीचे आई तो जान-माल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
देवेंद्र रावत, जोशीमठ: Joshimath Sinking: भूधंसाव से जूझ रहे जोशीमठ को आपदा से उबारने के लिए सरकार भले ही गंभीर हो, मगर कुछ अधिकारी अब भी यहां के हालात को गंभीरता से नहीं ले रहे। इसका ताजा उदाहरण सिंहधार वार्ड में खिसक रही भारी-भरकम चट्टान को रोकने के लिए किया गया कामचलाऊ उपाय है।
लोनिवि ने इस चट्टान को रोकने के लिए लोहे के पाइप और लकड़ी के डंडों की टेक लगाई हुई है। इस चट्टान के नीचे एक किमी के दायरे में गिरसी मोहल्ला, रामकलूड़ा मोहल्ला, जेपी कालोनी और मारवाड़ी आते हैं। अगर जमीन में हलचल बढ़ने पर यह चट्टान नीचे आई तो जान-माल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
आपदाग्रस्त घोषित है सिंहधार वार्ड
जोशीमठ में सिंहधार वार्ड आपदाग्रस्त घोषित है। यहां दरार वाले 151 भवन हैं। इनमें से 98 असुरक्षित घोषित किए जा चुके हैं। अब तक यहां से शिवलाल, ऋषि देवी, गिरीश लाल और हरीश लाल समेत कई परिवार अपना पुश्तैनी घर छोड़कर राहत शिविरों या अन्य सुरक्षित स्थान पर जा चुके हैं।
यहीं पर करीब एक माह पूर्व भूधंसाव के कारण एक मंदिर ढह गया था। इसी स्थान पर 20 फीट से अधिक ऊंची भारी-भरकम चट्टान अब भूधंसाव के कारण नीचे की तरफ खिसक रही है। विगत दिवस ग्रामीणों ने इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी थी। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने मौका-मुआयना कर लोक निर्माण विभाग को यहां सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए।
चट्टान से महज 30 मीटर नीचे गिरसी मोहल्ला बसा है
लेकिन, लोनिवि ने भारी-भरकम चट्टान को रोकने के नाम पर इसके नीचे लोहे के पाइप और लकड़ी के डंडों की टेक लगाकर जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी। ग्रामीणों ने बताया कि चट्टान से महज 30 मीटर नीचे गिरसी मोहल्ला बसा है।
इस जगह से 300 मीटर नीचे रामकलूड़ा मोहल्ला और जेपी कालोनी है। इसके बाद करीब 700 मीटर नीचे मारवाड़ी पड़ता है। इन स्थानों पर सैकड़ों परिवार रहते हैं। चट्टान के खिसकने की सूचना मिलने के बाद इन परिवारों की सांसें अटकी हुई हैं। इनका कहना है कि प्रशासन ने चट्टान को रोकने के लिए कामचलाऊ प्रबंध किया है। वर्षा होने या टेक हटने पर चट्टान कभी भी नीचे आ सकती है।