चमोली जिले के ग्रामीणों ने पेश की मिसाल, बच्चों के लिए शुरू की ऑनलाइन कक्षाएं
चमोली के दशोली ब्लॉक स्थित दुर्गम गांव ईराणी के ग्रामीणों ने गांव से दूर ऐसे स्थान पर नौनिहालों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं जहां मोबाइल आसानी से सिग्नल पकड़ लेता है।
गोपेश्वर, (चमोली) देवेंद्र रावत। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल सेवा नहीं है तो क्या हुआ, प्रयास करने पर रास्ता कहीं-न-कहीं से निकल ही आता है। चमोली जिले के दशोली ब्लॉक स्थित दुर्गम गांव ईराणी के नौनिहाल इसकी बानगी पेश कर रहे हैं। ईराणी के ग्रामीणों ने गांव से दूर ऐसे स्थान पर नौनिहालों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं, जहां मोबाइल आसानी से सिग्नल पकड़ लेता है। प्रथम चरण में यहां दसवीं व बारहवीं कक्षा के छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
ईराणी पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 47 किमी की दूरी सड़क मार्ग और फिर पांच किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। इस गांव में संचार सुविधा नहीं है। लेकिन, गांव से दो किमी ऊपर पहाड़ी पर 'संकटाधार' नामक एक ऐसा स्थान है, जहां बीएसएनएल के सिग्नल मोबाइल आसानी से पकड़ लेता है। अब जबकि लॉकडाउन के बाद देशभर में ऑनलाइन पढ़ाई की जा रही है, ईराणी के नौनिहालों के लिए यह महज एक सपना थी।
ऐसे में ग्राम प्रधान मोहन सिंह ने छात्र, अभिभावक व शिक्षकों से अलग-अलग बात कर ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का रास्ता निकाला। प्रधान के प्रयासों से राजकीय इंटर कॉलेज ईराणी के 10वीं व 12वीं कक्षा के 22 छात्र-छात्राओ के लिए गांव से दो किमी ऊपर संकटाधार के मैदान में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कक्षाएं लगाई गईं। प्रयोग सफल रहा और अब नौनिहाल नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं। शिक्षक उन्हें नियमित रूप से होमवर्क भी देते हैं।
कक्षाएं सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक चलती हैं। वर्तमान में नौनिहालों को यहां गणित, विज्ञान व अंग्रेजी सहित अन्य महत्वपूर्ण विषय पढ़ाए जा रहे हैं। राइंका ईराणी में गणित विषय के शिक्षक प्रवीन नेगी अपने गांव आदिबदरी से ही बच्चों को मोबाइल से पढ़ा रहे हैं। कहते हैं, बच्चों की शिक्षा के प्रति लगन को देखते हुए उन्होंने तो शिक्षादान में मात्र सहयोग दिया है।
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अंग्रेजी विषय के शिक्षक धनीराम आगरी गोपेश्वर से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। कहते हैं, छात्र-छात्राओं से सवाल-जवाब भी मोबाइल पर ही होते हैं। ऑनलाइन क्लास ले रही दसवीं की छात्रा वंदना कहती है, गुरुजनों का मार्गदर्शन उसे उसी तरह पढ़ने की प्रेरणा दे रहा है, जैसे कक्षा-कक्षों में पढ़ने से मिलती है। बारहवीं के छात्र संदीप का कहना है कि संकटाधार छात्र-छात्राओं का संकट हरने वाली साबित हुई। इसी तरह बारहवीं की छात्रा सविता कहती है कि विद्यालय बंद होने के कारण स्वजन उसकी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे। लेकिन, अब मोबाइल पर खुले आसमान के नीचे लगने वाले इस विद्यालय की कक्षाएं स्वजनों को भी सुकून दे रही हैं।
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